छत्ता आखिर किसका? - दादा दादी की कहानी
Hindi Stories : यह एक बड़ी ही मजेदार कहानी है। क्या तुम जानते हो कि मधुमक्खियों की तरह के दो कीड़े और होते हैं? ये देखने में काफ़ी कुछ मधुमक्खियों की तरह होते हैं-एक होती है बर्र और दूसरी होती है ततैया। पता है तीनों की एक ख़ास बात होती है, जो बिल्कुल एक जैसी होती है। तीनों जब डंक मारती हैं तो बुरी तरह दर्द होता है!!
हाँ, तो हुआ यह कि मधुमक्खियों और बरों में एक बार ज़ोरदार लड़ाई हो गई। दोनों कह रहे थे कि शहद से भरा हुआ छत्ता उनका है। आख़िरकार मामला अदालत तक पहुँच गया।
अदालत में न्यायाधीश की कुर्सी पर एक ततैया बैठा हुआ था।
बर्र और मधुमक्खियाँ दोनों ने अपनी-अपनी बात जज साहब को समझानी चाही; लेकिन काफ़ी देर तक कोई नतीजा नहीं निकला।
तब आसपास के कीड़ों और पक्षियों को गवाही देने के लिए बुलाया गया। उन्होंने बस इतना ही कहा-
'साहब, हमने पीले और भूरे रंग के कीड़ों को छत्ते के अंदर जाते और बाहर आते देखा है। बस इससे ज़्यादा हम कुछ नहीं जानते।'
लेकिन इस गवाही से तो बात और उलझ गई, क्योंकि मधुमक्खियाँ और बरें, दोनों ही पीली और भूरी होती हैं।
जब बहुत देर तक कोई नतीजा नहीं निकला तो रानी मधुमक्खी से रहा नहीं गया। वह बोली, 'श्रीमान, हम मधुमक्खियों और इन बरों को एक और छत्ता बनाने को कहा जाए। जो अच्छा छत्ता बनाएगा और बढ़िया शहद से उसे भर देगा, उसी को इस छत्ते का भी मालिक मान लिया जाएगा।'
ततैया जी को बात अच्छी लगी, उन्होंने दोनों पक्षों से पूछा कि क्या वे इस प्रतियोगिता के लिए तैयार हैं?
मधुमक्खियाँ तो तुरंत तैयार हो गईं, लेकिन बरौं ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से साफ मना कर दिया। उनको पता था कि वे चाहे कुछ भी कर लें लेकिन शहद का छत्ता कभी भी नहीं बना पाएँगी।
बर्रों ने जैसे ही इस बात के लिए मना किया, जज साहब समझ गए कि छत्ता मधुमक्खियों का ही है।
और इस तरह से इस गंभीर समस्या को सुलझा लिया गया।