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अयोध्या के इस मंदिर में राम-सीता के लिए सखी बनकर पुजारी करते हैं नृत्य, दुपट्टे से ढंकते हैं सिर: Madhuri Kunj Mandir

10:49 AM Jan 20, 2024 IST | Sonal Sharma
अयोध्या के इस मंदिर में राम सीता के लिए सखी बनकर पुजारी करते हैं नृत्य  दुपट्टे से ढंकते हैं सिर  madhuri kunj mandir
Madhuri Kunj Mandir
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Madhuri Kunj Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उत्साह है और इस कड़ी में अयोध्या से जुड़ी हर चीज़ों के बारे में लोगों को जानने की उत्सुकता भी है। कई मंदिरों को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं जो किसी न किसी कारण से खास हैं। एक ऐसा मंदिर अयोध्या के रामकोट में स्थित है जो कि बेहद खास है। जुगल माधुरी कुंज मंदिर की खासीयत है कि यहां सखी परंपरा है। दरअसल इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब सीता विवाह के बाद अयोध्या आईं थी, तब उनके साथ उनकी आठ सखियां भी आईं थी। यह कहा जाता है कि मंदिर में राम और सीता के साथ आठों सखियां भी विराजमान हैं। मान्यता यह है कि ये सखियां जुगल यानी माता सीता और राम के साथ हर समय मौजूद नहीं होती हैं। राम विवाह, राम नवमी और सावन पर ही सखियों का दरबार लगता है। बाकी समय वे शयन कुंज में रहते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर के पुजारी को सीख परंपरा निभानी होती है। यानी कि जब सीता की सखियां साथ नहीं होती हैं तो पुजारी को सखी भाव में आकर सिर पर दुपट्टा रखना होता है और विशेष त्योहारों पर सखी बनकर जुगल के सामने नृत्य करना होता है।

बता दें कि जुगल माधुरी कुंज मंदिर को साल 1898 में बनवाया गया था। ये मंदिर भीखमपुर रियासत की महारानी ने तैयार कराया था।

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मंदिर के पुजारी राज बहादुर अष्टयाम सेवा यानी आठ प्रहरों में श्रृंगार, आरती और भोग करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि महीने में तीन से पांच दिन राज बहादुप को मासिक अवकाश भी जुगल की और से दिया दाता है।

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