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वजन कम करने में कारगर इंटरमिटेंट फास्टिंग: Intermittent Fasting

07:30 AM Apr 09, 2024 IST | Rani
वजन कम करने में कारगर इंटरमिटेंट फास्टिंग  intermittent fasting
Intermittent Fasting for Weight Loss
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Intermittent Fasting: इंटरमिटेंट फास्टिंग, एक तरह का डाइटिंग प्लान है जो आजकल काफी चलन में है। यह वजन घटाने और डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में मददगार है, इसलिए कई लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग का सहारा ले रहे हैं। इसका एक रूप है 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग। क्या आप जानते हैं कि 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है, इसे कैसे किया जाता है? दरअसल इसके नुकसान और फायदे दोनो हैं। 'इंटरमिटेंट फास्टिंग इस शब्द का इस्तेमाल आजकल खूब किया जाता है, जिसे अमूमन लोग वजन कम करने से जोड़कर देखते हैं। कुछ लोग इसे कई डायबिटीज कंट्रोल से भी जोड़ते हैं। इसकी कई योजनाएं हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण योजना है 16:8 की योजना। इसके अलावा 20:4 और 18:6 भी इंटरमिटेंट फास्टिंग की योजना है लेकिन ये कम प्रचलन में हैं।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग की विभिन्न योजनाएं

16:8 की योजना को हम दो हिस्सों में बांटते हैं, जिसे 8 घंटे के हिस्से को फीस्टिंग विंडो कहा जाता है यानी कि इन 8 घंटों में हम खा सकते हैं और 16 घंटे के हिस्से को फास्टिंग विंडो कहा जाता है, यानी कि इन 16 घंटों में आप कुछ नहीं खा सकते। इन 8 घंटों में आप सामान्य तौर पर जो भी खाते हैं, खा सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपने अंतिम खाना शाम के 7 बजे खाया है, तो अगला खाना आपको दूसरे दिन का पहला खाना 11 बजे खाना है। 11 से 7 हम इसे अपनी व्यक्तिगत रुचि के अनुसार बदल सकते हैं। हम अपने समय को अपनी व्यक्तिगत चुनाव के हिसाब से बदल सकते हैं। यानी कि रात के 8 बजे अंतिम बार खाना खाया है तो अगले दिन 12 बजे पहला खाना खा सकते हैं।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग की फायदे और नुकसान 

इंटरमिटेंट फास्टिंग के अपने काफी फायदे और नुकसान भी हैं। कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं, जिनमें हम इंटरमिटेंट फास्टिंग करने की सलाह नहीं देते हैं। जैसे- गर्भावस्था, जेस्टेशनल डायबिटीज, स्तनपान कराने वाली मां या बढ़ते बच्चों (किशोरावस्था) में इंटरमिटेंट फास्टिंग करने की सलाह नहीं दी जाती है। 
कुछ क्रॉनिक बीमारियों में भी कई बार हमें ऐसा लगता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ परिस्थितियों में जरूरत भी बहुत लगती है। जैसे- वजन प्रबंधन और वजन कम करना। इन दोनों स्थितियों में इंटरमिटेंट फास्टिंग बढ़िया तरीके से काम करता है। डायबिटीज टाइप 2 के प्रबंध में भी इंटरमिटेंट फास्टिंग काम आता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में भी इसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इससे व्यक्ति को स्वस्थ और जवां बने रहने में मदद मिलती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में क्या खाएं और क्या नहीं 

इंटरमिटेंट फास्टिंग के खाने के दौरान हमेशा स्वस्थ संतुलित पौष्टिक आहार को अपने खान-पान में शामिल करने की सलाह दी जाती है। आहार में साबुत अनाज, सब्जियां और फल होने चाहिए क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा अधिक होने के साथ ही इसमें बहुत सारे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। स्वस्थ प्रोटीन, कम वसा वाले डेयरी, स्वस्थ वसा और अखरोट भी इंटरमिटेंट फास्टिंग का हिस्सा होना चाहिए।
फीस्टिंग समय में आप कुछ भी नहीं खा सकते हैं, जंक फूड नहीं खा सकते हैं। बल्कि यह कम कैलोरी वाली डाइट होनी चाहिए। फास्टिंग के समय भी चाय, कॉफी बिना शक्कर के पी सकते हैं। आप ब्लैक कॉफी ले सकते हैं। आप पानी भी पी सकते हैं। इस समय कैलोरी वाला और प्रोसेस फूड भोजन लेने की मनाही रहती है।

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क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग

इंटरमिटेंट फास्टिंग 16:8 योजना में 8 घंटे खाने का समय है और 16 घंटे का उपवास है। उदाहरण के लिए, सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक, सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक, दोपहर 12:00 बजे से शाम 8:00 बजे। इसमें एक व्यक्ति 2 पौष्टिक मुख्य भोजन और 1 लघु भोजन या बीच में स्वस्थ नाश्ता या स्वस्थ पेय ले सकता है।

योगर्ट फ्रूट स्मूदी

सामग्री : अपनी पसंद के फल लें, जैसे- सेब, केला, बेरी, संतरा, अमरूद आदि और दही।

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विधि : फलों को मनपसंद आकार में काट लें। अब एक कटोरे में दही लेकर उसे फेंट लें। इसमें सभी कटे फल मिला लें। योगर्ट फ्रूट स्मूदी तैयार है।

रागी उत्तपम 

Ragi Uttapam
Ragi Uttapam

सामग्री : द कप रागी का आटा, 1 चम्मच दही, 1 चम्मच बारीक कटी प्याज, 1 चम्मच बारीक कटा टमाटर, 2-3 करी पत्ता, द चम्मच सरसों, 1 चम्मच बारीक कटी शिमला मिर्च, 1 चम्मच बारीक कटी गाजर, द चम्मच जीरा, स्वादानुसार नमक, डेढ़ चम्मच सूजी, जरूरत के अनुसार तेल।

विधि : सूजी और दही को मिलाकर इसमें रागी, प्याज, टमाटर, गाजर, शिमला मिर्च, जीरा और सरसों मिला लें। इसमें थोड़ा पानी डालकर फिर से मिलाएं और 5 मिनट के लिए छोड़ दें। एक नॉन-स्टिक तवा गरम करें। अब घोल में करी पत्ता और नमक मिला लें। तवा पर तेल डालकर टिशू पेपर से पोंछ लें। अब एक बड़े चम्मच से घोल को तवा पर डालें और गोलाकार फैला लें। जब यह सुनहरे रंग का हो जाए तो पलट लें।

कोमल मलिक(डाइटीशियन- एशियन हॉस्पिटल)

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