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जीवन की घटनाओं को स्वप्न समझो: Spiritual Thoughts

06:00 AM Apr 19, 2024 IST | Srishti Mishra
जीवन की घटनाओं को स्वप्न समझो  spiritual thoughts
shree shree ravishankar
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Spiritual Thoughts: जिसे हम वास्तविकता कहते हैं, वह तो एक स्वप्न है, यह बात समझ में आना ही 'ज्ञान है। एक रूपान्तरण घटता है और तुम्हारी चेतना जागरण, स्वप्न और सुषुप्ति के सामान्य स्तर से परे खड़ी हो जाती है और साक्षी भाव पनपने लगता है। सपनों को सच मानना अज्ञान है। सच को भी सपना ही समझना ज्ञान है। जीवन में अब तक जो भी घटा है, जिसे तुम वास्तविक माने रहे हो, वास्तव में केवल एक सपना भर ही तो है। तुम्हारा स्कूल, कॉलेज जाना, काम करना, यह करना, वह करना, तुम्हारा बीता हुआ कल, अब सपना भर ही तो है। इस क्षण, वर्तमान में तुम सतर्क हो, अत: इस मनोदशा में तुम्हें भी सब सपना ही लग रहा है। है कि नहीं? तो सपने के विश्लेषण की उलझन में क्या पड़ना? कभी-कभी सपनों में अजूबे भी होते हैं जैसे-हाथी उड़ने लगा, आप चांद पर पहुंच गए, रेलगाड़ी पानी में तैरने लगी आदि। ऐसे सपनों के साथ आप ज्यादा तादात्म्य तो स्थापित नहीं कर लेते न? वैसे ही जीवन की सभी घटनाओं को भी स्वप्नवत समझो, उनको सपने जितना ही महत्त्व दो, बस। तब तुम पूर्णतया वर्तमान में जीना सीख जाओगे।

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जिसे हम वास्तविकता कहते हैं, वह तो एक स्वप्न है, यह बात समझ में आना ही 'ज्ञान है। देखो, तुम तो अभी भी सपने में ही हो। सपना देख रहे हो कि नहीं? अभी, इसी क्षण? इस दृष्टिï से देखते ही, यह सजगता आते ही तुम्हारी चेतना के तल कुछ घटित होने लगता है। इस पर ध्यान दो। एक रूपान्तरण घटता है और तुम्हारी चेतना जागरण, स्वप्न और सुषुप्ति के सामान्य स्तर से परे खड़ी हो जाती है और साक्षी भाव पनपने लगता है। तुमने सपनों के विषय में पूछा ही है तो इस बारे में कुछ चर्चा लाभप्रद होगी। चार या पांच तरह के सपने होते हैं। एक है स्मृति के सपने, पुरानी यादों के धुंधलके सपने बनकर आ जाते हैं। दूसरी तरह के सपने हैं अधूरी इच्छाओं के। कोई बहुत प्रबल इच्छा जिसकी पूर्ति न हुई हो, वह भी सपना बन कर आ जाती है। तीसरी प्रकार के सपने हैं अन्तर्प्रज्ञात्मक अर्थात् भविष्य में घटने वाली घटना का पहले से ही सपने में उद्ïघटित हो जाना। अब चौथी प्रकार के सपने का संबंध आपके व्यक्तित्व से नहीं वरन्ï उस स्थान विशेष से है, जहां आप सो रहे हो, कभी ऐसा अनुभव हुआ कि जब तुम किसी नए स्थान पर सोए हो, किसी होटल अथवा किसी गांव में-तो अजीब-अजीब भाषा, आवाजें सपनों में सुनाई पड़ेंगी, अप्रासंगिक व्यक्ति, वस्तुस्थिति या घटनाएं सपने में आयेंगी। यह सब उस अमुक स्थान के आकाश तत्त्व में बिखरी ऊर्जा तरंगों के कारण होता है। अत: किसी नए स्थान पर आप सोयें या किसी बच्चे को सुलायें तो कुछ मन्त्रोच्चारण, कुछ ध्यान अवश्य कर लेना चाहिए। इससे वहां के वातावरण की शुद्धि हो जाती है और ऊर्जा का संचार भी हो जाता है।

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दुष्स्वप्न से बचने के लिए तकिये के नीचे ताजी दूब (लम्बी घास) रखना बड़ा लाभप्रद है। ताजी घास की तरंगें बड़ी गुणकारी होती हैं। यह एक भेद की बात बताई है। पांचवीं प्रकार के स्वप्न तो पहली सब प्रकार की मिली-जुली खिचड़ी समझो। कुछ भविष्य की, कुछ पुरानी यादें, कुछ आकांक्षाएं, कुछ स्थान विशेष का प्रभाव। इनका क्या विश्लेषण करोगे? सपने को सपना कह कर छोड़ देना ही अति उत्तम है।

अन्तर्प्रज्ञात्मक, बिल्कुल सच भी या तुम्हारी ही आकांक्षा झलक रही हो, जैसे तुम किसी आकर्षक स्थान पर जाना चाहते हो और सपने में गुरु जी के मुंह से निकलवा लेते हो कि अमुक स्थान पर जाओ। ऐसी घटनाएं भी घटी हैं कि कोर्स में कई लोग अपने सपनों से निर्देश पाकर ही पहुंचे हैं। पोलैंड और रूस जैसे देश में तो ऐसी घटनाएं बहुत घटीं। वे इस पथ पर, इस दिव्य ज्ञान में कैसे आए, इन सबकी बड़ी अनोखी कहानियां हैं। हां, तो मैं यह नहीं कह रहा कि सपनों को झूठा समझो, पर इन पर शत-प्रतिशत भरोसा भी नहीं किया जा सकता।

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