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दौलत आई मौत लाई भाग-14

06:00 PM Aug 25, 2022 IST | sahnawaj
daulat aai maut lai by james hadley chase दौलत आई मौत लाई (The World is in My Pocket)
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ज्योंही फ्रीमैन ने दरवाजा खोला - बैडरूम में बिस्तर पर पड़ा जौनी जाग उठा।

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‘गुड मार्निंग। फ्रीमैन ने जौनी को चाय का प्याला देते हुए कहा।

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जौनी खामोशी से चाय सिप करने लगा।

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‘मैं जंगल में जा रहा हूं।’ फ्रीमैन ने बताया - ‘किन्तु जाने से पहले तुम्हारे टखने को अवश्य देखूंगा।’ वह बाहर निकल गया और बर्फ के ठंडे पानी सहित लौटा - पट्टी बदलने के बाद उसने संतोष व्यक्त किया। ‘यह अब ठीक होता जा रहा है।’ वह बोला - ‘सूजन समाप्त हो गई है इसकी। वापस लौटने में मुझे सात-आठ घंटे का समय लग जाएगा। अतः तुम्हारे लिए खाना तैयार कर दिया है मैंने। वक्त गुजारने के लिए क्या तुम कोई किताब पढ़ना चाहोगे?’

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दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

जौनी ने इंकार में सिर हिला दिया। बोला-‘मुझे पुस्तकें पढ़ने का शौक नहीं है।’

‘ठीक है जैसा तुम चाहो।’ फ्रीमैन बोला - ‘मैं बाहर से दरवाजा बंद करके ताला लगा जाऊंगा - तुम चिन्ता मत करो-आमतौर से यहां कोई आता तो नहीं है - फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से सावधानी बरतना उचित है।’

जौनी ने अपनी पिस्तौल को छूकर कहा - ‘बहुत - बहुत शुक्रिया।’

जौनी सख्त बिस्तर पर पड़ा रहा। उसके निकट ही रैटल स्नेक के सूप की प्लेट रखी थी। सिगरेट का पैकेट और ठंडे पानी का फ्लास्क भी वहीं मौजूद था - फ्रीमैन लकड़ी का भारी दरवाजा बंद करते हुए बोला - ‘थोड़ी देर बाद काफी गर्मी हो जाएगी परन्तु इस स्थिति में गर्मी सहन करना ही अच्छा होगा। वह शायद जौनी के खतरे का अनुमान लगा चुका था - ‘तुम्हें अकेला छोड़ने का मुझे अफसोस है - परन्तु मजबूरी है। मैं एक भयानक विषैले किस्म के सांप (क्रेन ब्रेक रैटलर) की तलाश में हूं। अस्पताल वालों को उसके जहर की बेहद जरूरत है - अतः हो सकता है उसकी तलाश में मुझे सारा दिन ही लग जाये।’

‘तुम निश्चिंत होकर अपने काम पर जाओ।’ जौनी ने कहा - ‘बाइबिल के अलावा किसी भी अन्य पुस्तक से मैं अपना दिल बहला सकता हूं।’

फ्रीमैन ने मारियो पूजो द्वारा लिखी गई गॉड फादर नामक पुस्तक उसे लाकर दे दी।

स्कूल छोड़ने के बाद जौनी ने कोई किताब नहीं पढ़ी थी। गॉड फादर नामक यह पुस्तक माफिया से संबंधित थी - अतः वह इसके अध्ययन में डूब गया। समय बीतता रहा। वह अपने भोजन के बारे में भी भूल गया। पुस्तक बेहद दिलचस्प साबित हुई थी। जब सूर्यास्त हो गया और अक्षर दिखाई देने बंद हो गये अंधेरे के कारण तो उसे भूख लगी - साथ ही याद हो आया कि आज तो उसने लंच भी नहीं किया था। टखने का दर्द भी करीब-करीब खत्म हो चुका था। कलाई पर बंधी घड़ी की सुइयां पांच बजकर बीस मिनट की सूचना दे रही थीं।

यदि किताबें इतनी ही अच्छी होती हैं - उसने सोचा - तो सचमुच वह जीवन-भर एक अपूर्व सुख से वंचित रहा है।

ठंडा सूप समाप्त करने के बाद जैसे ही उसने सिगरेट जलाई-द्वार के ताले में चाबी घूमने की आवाज सुनाई दी। उसने तत्काल सिगरेट फेंक दी और पिस्तौल संभाल ली।

‘मैं हूं।’ फ्रीमैन ने बैडरूम में प्रवेश करते हुए कहा - ‘और मुझे लगता है कि कोई गड़बड़ पैदा हो गई है। तीन आदमी इधर ही आ रहे हैं। हालांकि उन्होंने मुझे नहीं देखा है - मगर मेरी नजरों ने उनकी पिस्तौलें साफ देख ली थीं।’

जौनी उठकर बैठ गया।

करीब दस मिनट में वे लोग यहां आ पहुंचे- ‘तुम मेरे साथ आओ, जौनी - मैं तुम्हें ऐसी जगह छुपाऊंगा, जहां खोज पाने का ख्याल भी उन्हें नहीं आ सकता।’ फ्रीमैन ने उसे बाएं पैर पर खड़ा होने में सहायता देते हुए बोला - ‘दाएं पैर पर बोझ डालने की चेष्टा मत करना।’

जौनी ने अपना होल्स्टर और पिस्तौल उठा लिया - फिर फ्रीमैन का सहारा लेकर लिविंगरूम से गुजरकर बाहर धूप में आ गया - फ्रीमैन उसे केबिन के पीछे ले आया - ‘यह मेरा स्नेक हाउस है’ फ्रीमैन ने बताया - ‘लेकिन तुम डरना मत - वे सब (सांप) मजबूती से पिंजरों में बंद है - तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।’

वह जौनी को कुछ अंधेरे-सी जगह में ले गया। आहट पाकर भयानक

विषधर फुंफकारें मारने लगे। उसे दीवार के साथ खड़ा करके फ्रीमैन ने आठ फुट ऊंचा पिंजरा घसीटकर उसके आगे कर दिया। जौनी ने देखा-पिंजरे में बंद सांप जोर-जोर से फुंफकारे रहे थे।

लम्बे-चौड़े पिंजड़े ने उसे पूरी तरह छिपा लिया था।

‘तुम निश्चिंत रहो।’ फ्रीमैन ने उसे आश्वासन दिया - ‘बिस्तरे वगैरह को मैं ठीक किए देता हूं।’

सांपों की गंध को जौनी स्पष्ट महसूस कर रहा था। उनके हिलने-जुलने के कारण जौनी के जिस्म में भय की तेज लहर रह-रहकर दौड़ उठती थी। अपने स्वस्थ पैर पर शरीर का सारा भार डाले तथा चोट खाये पैर को जमीन पर टिकाकर वह प्रतीक्षा करने लगा।

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बैरोली, दाएं-बाएं फ्रैडी तथा जैक से घिरा, फ्रीमैन के केबिन के सामने खुले स्थान में पहुंच गया। घंटों जंगल में धक्के खाने के बाद वे न सिर्फ थक चुके थे - बल्कि तलाशी के काम से ऊबने भी लगे थे। वे कुछ लापरवाह हो चले थे। बैरोली ने करीब तीन-चार घंटे बाद अचानक महसूस किया कि जौनी झाड़ियों के किसी झुरमुट में आराम से छुपा पड़ा होगा - और वे लोग उसे पीछे छोड़कर बेकार इधर-उधर भटक रहे थे। उसे लगा - बेहद जल्दबाजी के कारण इस मुहिम की शुरुआत ही गलत ढंग से हुई थी - जौनी को खोज निकालने के लिए उन्हें कुत्तों की सहायता लेनी चाहिए थी - किन्तु इस सबके लिये इस मुहिम का मुखिया होने के कारण वह व्यंग ही उत्तरदायी था और असफल होकर मसीनो के सामने पहुंचने की कल्पना से ही वह भयभीत हुआ जा रहा था।

जैक और फ्रैडी के साथ वह छह घंटे तक जंगल में भटक चुका था। इस पूरे दौर में जीवित प्राणी के नाम पर केवल एक सांप के ही उन्हें दर्शन हुए थे और ठीक उस समय जब वह हताश होकर नाकामयाबी की वजह से इस मुहिम को समाप्त करने की सोच रहा था - तभी इस खुले स्थान से आगे बने लकड़ी के लट्ठों के केबिन पर नजरें पड़ गईं।

तीनों फौरन एक घनी झाड़ी की ओट में हो गये।

‘वह वहां हो सकता है।’ बैरोली ने राय जाहिर की।

केबिन की ओर बढ़ते समय उन्हें छरहरे बदन का एक ऊंचा आदमी मैली-सी खाकी वर्दी पहने नजर आ गया। वह कुएं पर जाकर पानी खींचने लगा था।

‘जैक!’ बैरोली ने उससे कहा - ‘तुम उससे बातें करो।’

‘नहीं दोस्त।’ जैक ने असहमति प्रगट की - ‘बातें तुम करो - मैं तुम्हें कवर किए रहूंगा।’

‘ठीक ही तो है।’ फ्रैडी मुस्कराया - ‘क्योंकि इस समय तुम बॉस हो ल्यू।’

मजबूरी थी, अतः बैरोली खुले स्थान में केबिन की ओर चल दिया। उसका दिल जोर से धड़क रहा था। वह मन ही मन आशंकित था कि कहीं अंदर मौजूद जौनी दरवाजों के सूराखों में से निशाना लगाकर उसे गोली न मार दे।

फ्रीमैन ने निकट आते हुए बैरोली की ओर देखा - ‘कहो अजनबी।’ उसका स्वर शांत एवं नम्र था - ‘लगता है रास्ता भूल गये हो, क्योंकि महीनों से मैंने किसी को इधर से आते-जाते देखा तक नहीं।’

अपनी पिस्तौल को उसकी नजरों से छिपाये, बैरोली गौर से उसे देख रहा था।

‘यहीं रहते हो तुम?’ बैरोली ने पूछा।

‘हां!’ फ्रीमैन का स्वर पूरी तरह संयत था - ‘मेरा नाम फ्रीमैन है और मैं स्नेक मैन हूं।’

बैरोली चौंका।

‘क्या स्नेक मैन, मैं समझा नहीं?’

फ्रीमैन ने धैर्यपूर्वक उसे समझाया - ‘मैं सांपों का जहर निकालकर अस्पतालों में सप्लाई करता हूं।’ कुछ क्षण बाद बैरोली की संदेहपूर्ण आंखों में झांककर बोला - ‘तुम कौन हो?’

‘क्या तुमने किसी चालीस वर्षीय ऐसे आदमी को इधर देखा है जिसका कद छोटा, शरीर और बाल काले हों? हमें उसी आदमी की तलाश है।’

‘तुमने सुना नहीं - मैं पहले ही बता चुका हूं कि महीनों के बाद तुम वह पहले आदमी हो, जिसे मैं देख रहा हूं।’

बैरोली ने व्याकुलता से केबिन की ओर देखा और बोला - ‘झूठ बोलने की कोशिश मत करो - यदि वह केबिन के अंदर हुआ तो तुम्हारी जान पर बन आएगी - समझे।’

‘क्या चक्करबाजी है?’ फ्रीमैन ने शांत स्वर में पूछा - ‘तुम पुलिस के आदमी हो क्या?’

उसके प्रश्न की उपेक्षा करके बैरोली ने अपने दोनों साथियों को झाड़ी से बाहर आने का संकेत किया।

‘हम तुम्हारे केबिन की तलाशी लेना चाहते हैं। फ्रैडी और जैक निकट आ गए तो बैरोली ने कहा - ‘चलो, आगे बढ़ो और चालाकी दिखाने की कोशिश मत करना।’

परन्तु केबिन की तलाशी व्यर्थ ही सिद्ध हुई। वहां जौनी का नामोनिशान भी नहीं था।

केबिन के बाहर आकर बैरोली ने स्नेक हाउस की ओर इशारा करके कहा - ‘वह क्या है?’

‘वह मेरा स्नेक हाउस है। वहां भी एक नजर डाल लो। मैंने अभी-अभी एक क्रेन ब्रेल रैटलर पकड़ा है। तुमने शायद आज तक वैसा सांप देखा भी नहीं होगा।’

पिंजरे के पीछे छुपे जौनी को वार्तालाप का प्रत्येक शब्द सुनाई पड़ रहा था। उसकी उंगलियां पिस्तौल पर कसी हुई थीं। सेफ्टी कैच वह पहले ही हटा चुका था। फ्रैडी की आवाज वह साफ पहचान गया था। फ्रैडी माफिया संगठन का नृशंस हत्यारा था और पिंजरों में बंद सर्पों से कई गुना खतरनाक तथा हिंसक था।

‘आगे बढ़ो।’ बैरोली ने फ्रीमैन को पिस्तौल से ठेला। फ्रीमैन को ढाल के रूप में सुरक्षा के विचार से आगे अड़ाकर बैरोली ने पिंजरे पर नजरें डाली। सर्पों की गंध और फुंफकारें महसूस करते हुए वह पीछे हट गया। वह फ्रैडी और जैक के पास पहुंचकर बोला - ‘आओ वापिस चलते हैं - महीनों तक भी अगर इस जंगल में हम सिर खपाते रहे तब भी वह हमारे हाथ नहीं आएगा।’

‘बहुत समझदारी की बात की है तुमने।’ जैक ने उसकी राय की प्रशंसा की।

फ्रीमैन उन तीनों को जंगल में गायब होता देखता रहा। फिर कुएं से पानी की बाल्टी लेकर केबिन में लौट आया। दस मिनट प्रतीक्षा करने के बाद वह दबे पांव सतर्कतापूर्वक जंगल की ओर चल दिया।

कुछ चलने के बाद उसे कुछ आहटें सुनाई दीं। जंगली जीवन का आदी फ्रीमैन सतर्क होकर एक पेड़ के साए में हो गया - कुछ देर बाद उसकी सतर्क तथा तीक्ष्ण निगाहों ने देखा कि उसके पास से वापस लौटे तीनों व्यक्ति अन्य आदमियों से मिले। उन्होंने कुछ देर विचार-विमर्श किया- फिर सभी कारों में बैठे और चल दिये। फ्रीमैन तब तक वहीं खड़ा उन्हें देखता रहा जब तक कि उनकी कारें उसकी आंखों से ओझल न हो गईं।

जब कारें चली गईं तो वह निश्चिंततापूर्वक मुस्कराया और वापस अपने केबिन की ओर चल दिया।

दौलत आई मौत लाई भाग-15 दिनांक 02 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

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