कमल का फूल - दादा दादी की कहानी
Dada dadi ki kahani : बहुत पुरानी बात है। रायगढ़ के महाराज ने एक उत्सव का . आयोजन किया। उसमें पास-दूर के सभी देशों की राजकुमारियों और राजकुमारों को आमंत्रित किया गया। शाम को नृत्य का कार्यक्रम था। नृत्य करते समय राजकुमारियों को अपनी पसंद का राजकुमार चुनना था, जिसे वे अपना जीवनसाथी बना सकें। अपने मन की बात बताने के लिए उन्हें अपनी पसंद का एक फूल राजकुमार को देना था।
सभी राजकुमारियों ने शाही बागीचे से सुंदर फूल चुन लिए। चंद्रनगरी की राजकुमारी चंद्रकांता ने अभी तक फूल नहीं चुना था। वह शाही बागीचे में घूम रही थी। तभी उसकी निगाह बागीचे के बीच बने. एक छोटे से कुंड पर पड़ी। कुंड में कमल के सुंदर फूल खिले हुए थे। चंद्रकांता ने एक फूल अपनी पसंद के राजकुमार के लिए ले लिया।
कमल का फूल बहुत खुश था कि उसे भी किसी ने चुना। राजकुमारी ने यह फूल सूर्यनगर के राजकुमार सूरजसिंह को दिया। दोनों का विवाह धूमधाम से हुआ। उन्होंने अपने महल के एक बड़े कमरे में अपने विवाह की एक तस्वीर बनवाकर लगवाई। उस तस्वीर में भी कमल का फूल सूरजसिंह के हाथ में था।
सूरजसिंह ने उस फूल को बहुत सँभालकर अपनी एक किताब में रख लिया था। वे प्रतिदिन उस फूल को निकालकर प्यार से देखते थे और फिर उसे वापिस किताब में रख देते थे। फूल अपने-आपको बहुत भाग्यशाली महसूस करता था।
एक दिन राजकुमार ने फूल को अपने कमरे की मेज़ पर रखकर छोड़ दिया। खिड़की से जब सूर्य की किरणें उस पर पड़ी तो फूल को अपने पुराने दिन याद आ गए। उसने सूर्य की किरणों से पूछा, 'तुम तो रोज़ रायगढ़ के शाही बगीचे के कुंड को देखा करती हो। मेरे साथी वहाँ कैसे हैं? सब ठीक तो हैं न!'
सूर्य की एक किरण बोली, 'वे सब तुम्हें याद करते हैं, तुम बताओ, क्या तुम खुश हो?'
फूल ने कहा, 'मैं तो बहुत खुश हूँ, इस महल से अच्छी जगह और क्या हो सकती है? मैं संतुष्ट हूँ कि मुझे जीवन में सब कुछ मिला जो मैंने चाहा, मैं चाहता था कि कोई मुझे भी पसंद करे। और देखो, हमारे देश की सबसे सुंदर राजकुमारी ने मुझे पसंद किया।'
किरण बोली, 'अच्छा लगा यह जानकर कि तुम खुश हो। लेकिन अभी तुम्हें एक खुशी मिलनी बाकी है। तुम चाहते थे न कि तुम्हें कोई पसंद करे। अब कुछ ऐसा होगा कि पूरी दुनिया के बच्चे तुम्हें प्यार करेंगे, क्योंकि तुम्हारा ज़िक्र उनकी एक परी-कथा में होगा।'
और इस तरह से कमल के उस छोटे-से फूल की साधारण-सी कहानी एक प्रसिद्ध परी-कथा बन गई। आज सब बच्चे बड़े प्यार से यह कहानी सुनते हैं और कमल के फूल को याद करते हैं। तुमने भी अभी-अभी वही परी-कथा सुनी है, अब तुम बताओ कि तुमको कमल के फूल की यह कहानी कैसी लगी? अच्छी लगी ना!