खुशियों भरा हो दो हजार बाईस-गृहलक्ष्मी की कविता
ईश्वर के चरणों में रखती हूँ मैं
दिल की इक छोटी सी फरमाइश
खुशियों भरा हो आने वाला
नया वर्ष दो हजार बाईस,
आने वाले वर्ष में सबकी झोली
खुशियों से तुम भर जाना
करना तमन्ना पूरी हे ईश्वर
तो बस इतना कर जाना
भोजन से भरा रहे पेट सभी का
भरा रहे भंडार सभी का
बनकर माँ अन्नपूर्णा आना
आने वाले नए वर्ष में तुम सबकी
झोली खुशियों से भर जाना,
धन धान्य सम्पदा शक्ति से
परिपूर्ण हो सबका जीवन
रहे निरोगी काया सबकी
स्वस्थ हो सबका तन -मन
न उथल- पुथल हो कोई भी
न रहे कोई भी उलझन
शांति पूर्ण सौहार्द भरा हो
सामान्य हो सबका जीवन
न चूर हो कोई भी सपनों से
न बिछड़े कोई भी अपनों से
बनकर मरहम दर्दे दवा कोई
आकर घाव सभी भर जाना
आने वाले नए वर्ष में सबकी
झोली तुम खुशियों से भर जाना,
हरे भरे हों खेत सभी
नष्ट न हो कोई फ़सल कभीरिमझिम फुहार सी वर्षा हो
हों मन प्रफुल्लित दिल हर्षा हो
संग मात- पिता की छाया हो
सिर पर बुजुर्गों का साया हो
कह देना आने वाले वर्ष से
गर जो इतना तुम कह पाना
आने वाले नए वर्ष में सबकी
झोली तुम खुशियों से भर जाना
बनकर मीठी मुस्कान सदा सबके
चेहरों पर मुस्काना...