लीव इन रिलेशनशिप.... ज़रा ठहरिए: Live in Relationship Prroblems
Live in Relationship Prroblems: दिल्ली के श्रद्धा हत्या काण्ड के रूप में प्यार का एक ऐसा बदसूरत चेहरा सबके सामने आया है जिसे देखने, सुनने और पढ़ने के बाद अब शायद ही कभी किसी को प्यार पर भरोसा हो सकता है. श्रद्धा और आफताब अमीन पूनावाला के प्यार का अंत इतना वीभत्स होगा इसकी कल्पना तो शायद कभी श्रद्धा ने भी नहीं की होगी. उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिसे वह अपने जान से ज्यादा प्यार करती है वही एक दिन उसकी हत्या इतने निर्ममता से करेगा कि उसके शरीर के 35 टुकड़े कर देगा.
श्रद्धा का कसूर क्या था…..? क्यों उसे अपनी जान देकर प्यार की इतनी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी? आफताब का यह जघन्य कृत्य हमारे समाज के समक्ष एक प्रश्न चिन्ह लिए खड़ा है. यह घटना उन युवा वर्गों के लिए एक सबक भी है जो पश्चिमी संस्कृति की पैरवी करते हैं. विदेशी संस्कृति का आवरण ओढ़ कर स्वयं को आधुनिक दिखाने का प्रयास करते हैं और हमारी भारतीय संस्कृति पर उंगली उठाते हैं.
आज हमारी युवा पीढ़ी को आधुनिकता और आजादी के सही मायने समझने की बहुत जरूरत है. आधुनिकता का अर्थ केवल पश्चिमी संस्कृति में स्वयं को रंग लेना नहीं है और ना ही आजादी के नाम पर समाज की परवाह किए बगैर मनमानी ढंग से अपनी ज़िंदगी को जीना है. हमारे भारत की सभ्यता और संस्कृति पूरे विश्व में सबसे पूरानी और अनुकरणीय है इसलिए आज विदेशों में भी हमारी भारतीय संस्कृति को अपनाया जा रहा है उनका अनुकरण किया जा रहा है. हमारी युवा पीढ़ी को यह बात समझनी होगी कि लीव इन रिलेशनशिप हमारी भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है. हमारी भारतीय संस्कृति में विवाह एक पवित्र बंधन है जहां केवल दो शरीरों का मिलन नहीं होता बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है, दो परिवारों का मिलन होता है, संस्कारों का मिलन होता है. शायद यही बात श्रद्धा नहीं समझ पाई, जिसका खामियाजा उसे अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी.
श्रद्धा का केवल इतना ही दोष था कि वह आफताब को हद से ज्यादा प्यार करती थी, जिसकी वजह से वह अपने परिवार के खिलाफ जा कर आफताब के संग लीव इन रिलेशनशिप में रहने भी लगी. वह आफताब से शायद शादी भी करना चाहती थी. श्रद्धा का प्यार में अंधापन और लीव इन रिलेशनशिप जैसे पश्चिम संस्कृति को अपनाना ही उसकी मौत का कारण बना. जब भी कोई किसी से प्यार करता है तो वह चाहता है कि उसका प्यार हमेशा उसके साथ रहे उसके पास रहे और फिर यहीं से शुरू होती है एक जंग.
श्रद्धा की ही तरह आज हमारे समाज में और भी कई ऐसे युवा होगें जो अपनी आजादी और आधुनिकता के नाम पर अपने माता पिता व परिवार के विरोध जा कर लीव इन रिलेशनशिप में रह रहे होंगे या रहने की सोच रहे होंगे उन सभी युवाओं को आज जरा गहराई से चिन्तन करने की आवश्यकता है कि उन्हें बिना विवाह के साथ क्यों रहना हैं …? और उनके रिश्ते का अंत क्या होगा….?माना कि कानूनी तौर पर लीव इन रिलेशनशिप को मान्यता दे दी गई है लेकिन क्या ये लीव इन रिलेशनशिप एक सुरक्षित अनुबंध है….? जिसके लिए युवा पीढ़ी अपने माता पिता, परिवार, समाज और संस्कृति को नजरंदाज कर रहे हैं .
हमारे युवा पीढ़ी को यह भी समझने की अत्यंत आवश्यकता है कि शादी और लीव इन रिलेशनशिप दोनों की सामाजिक मान्यता बिल्कुल भिन्न है, जहां शादी एक लड़का और लड़की के साथ रहने का अधिकारिक मुहर है वहीं लीव इन रिलेशनशिप को आज भी समाज की ओर से कोई मान्यता प्राप्त नहीं हैं. लीव इन रिलेशनशिप हमारी भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है. यह रिलेशनशिप समाज को पतन की ओर ले जा रहा है जिसका ताजा उदाहरण आज हमारे समक्ष श्रद्धा हत्या काण्ड के रूप में परिलक्षित हुआ है.
अभी भी वक्त है यदि हमारी युवा पीढ़ी लीव इन रिलेशनशिप के विषय में सोच रहे हैं तो ज़रा ठहर जाएं और विचार करें कि जिसके लिए वह अपना सब कुछ छोड़ रहे हैं क्या वह व्यक्ति इस लायक है…? तो उन्हें अपने प्रश्नों का उत्तर स्वत: ही मिल जाएगा क्योंकि विवाह एक पवित्र बंधन है और इस बंधन में वही व्यक्ति बंधना चाहता है जो आजीवन साथ रहना चाहता है माना कि आजकल तलाक भी हो रहे हैं लेकिन लीव इन का तो मतलब ही यही है कि जब तक मन किया साथ रहेंगे वरना अलग हो जाएंगे इसलिए आज की युवा पीढ़ी अपनी आधुनिक सोच पर विराम लगाइए, सावधान हो जाइए और लीव इन रिलेशनशिप में जाने से पहले ज़रा ठहर जाइए और मंथन करें कि वह किस ओर जाना चाह रहे है.