माँ-बेटी-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ ,
तेरी उंगली पकड़ के माँ, तेरे साथ ही चलना चाहूँ ,
तेरे आँचल की छाया में
माँ मेरा बचपन बीते ,
तेरा साथ कभी छूटे न
माँ तेरे संग जीवन बीते,
माँ से प्राप्त अनेक गुणों से , उनके जैसी बनना चाहूँ,
माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ ।
खेल खेल में माँ मुझको
अनुशासन का पाठ पढ़ाती,
किस्से और कहानी द्वारा
संस्कारों की बात सिखाती,
अच्छे और बुरे लोगों में, माँ से भेद समझना चाहूँ,
माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ।
माँ की छाया बेटी होती
माँ का हर गुण उसमें रहता,
माँ से मिली हुई शिक्षा से
हर बेटी का रूप निखरता,
माँ के हर सुख-दुःख में, उनकी भागीदारी करना चाहूँ,
माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ।
रीति-रिवाज़ , रूढ़ियों को भी,
माँ अच्छे से समझातीं ,
कितनी कठिन परिस्थिति हो
पर, माँ धीरे से मुस्काती ,
आदर-मान , उचित-अनुचित , सदाचार मैं सीखना चाहूँ,
माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ।
माँ तेरी ममता मेरे ,
मन की अद्भुत पूँजी है ,
तेरे ही सिखलाये गुण
सुखद भविष्य की कुंजी हैं,
तेरे आशीर्वाद से ही मैं , जीवन में कुछ करना चाहूँ ,
माँ मैं तेरी प्यारी बेटी , तेरे साथ ही रहना चाहूँ ।
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