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मैंने झूठ नहीं बोला - दादा दादी की कहानी

12:00 PM Sep 25, 2023 IST | Reena Yadav
मैंने झूठ नहीं बोला   दादा दादी की कहानी
mene jhooth nhi bola, dada dadi ki kahani
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Dada dadi ki kahani : दो किसान भाई एक गाँव में रहते थे। बड़े भाई का नाम था राहुल और छोटे भाई का नाम था माहुल। उन्हीं के गाँव के पास एक और गाँव था। वहाँ के ज़मींदार की एक सुंदर बेटी थी-माला। माहुल और माला एक-दूसरे को पसंद करते थे। माहुल माला से विवाह करना चाहता था। लेकिन वह जानता था कि माला के पिता ऐसा नहीं होने देंगे। इसका कारण यह था कि माहुल बहुत गरीब था। उसके पास रहने के लिए न अच्छा घर था, न पहनने के लिए अच्छे कपड़े थे। माला यह सब जानती थी, लेकिन फिर भी माहुल से विवाह करना चाहती थी।

राहुल भी अपने छोटे भाई की सहायता करना चाहता था। बहुत सोचने पर उसे एक उपाय समझ में आया। उसने माहुल को कुछ कपड़े पहनने को दिए। माहुल ने देखा कि जो कुर्ता उसके भैया ने दिया था उसमें कम-से-कम दस तरह के कपड़ों के टुकड़े सिले हुए थे। छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर इस कुर्ते की सिलाई की गई थी। फिर राहुल ने माहुल को घर के एक कोने में बैठा दिया। घर का यही एक कोना ऐसा था, जिसके ऊपर की छत पूरी तरह पक्की थी। बाकी जगह की छत तो ख़राब हो चुकी थी और बरसात में चूने लगती थी।

उसके बाद राहुल ने माहुल को दो सिक्के दिए और एक कटोरा दिया। उसने माहुल से कहा-

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'ये सिक्के एक हाथ से दूसरे हाथ में डालो और फिर कटोरे में डालो। फिर उठाकर गिनो और कटोरे में डालो। जब तक मैं माला के पिता से मिलकर वापिस न आ जाऊँ यहीं बैठे रहना और जैसा मैंने कहा है, वैसा ही करते रहना।'

'ठीक है भैया।' माहुल बोला।

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राहुल माला के पिता के पास पहुँचा और उनसे कहा, 'मैं अपने भाई माहुल के साथ आपकी बेटी माला के विवाह के बारे में बात करना चाहता हूँ।' माला के पिता बोले, 'क्या तुम्हारा भाई अमीर है?'

राहुल ने कहा, 'मैं सच कह रहा हूँ कि इस समय बैठकर वह सिक्के गिन रहा होगा।'

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'क्या उसके सिर पर पक्की छत है?' माला के पिता ने पूछा।

'जी हाँ, उसके ऊपर पक्की छत है।' राहुल बोला।

'और पहनने को अच्छे कपड़े हैं क्या?' ज़मींदार ने फिर पूछा।

तब राहुल बोला, 'मैं बस इतना ही कह सकता हूँ कि उसके पास पहनने के लिए मुझसे ज़्यादा तरह के कपड़े हैं।'

ज़मींदार को विश्वास हो गया कि माहुल अमीर है। उसके पास रहने को अच्छा घर भी है और पहनने को अच्छे कपड़े भी हैं।

राहुल ने ऐसा कुछ नहीं कहा था, लेकिन उसने झूठ भी नहीं बोला था। इस तरह ज़मींदार ने अपनी बेटी माला का विवाह माहुल के साथ कर दिया। माहुल बहुत ही समझदार और गुणी था। जब वह माला के पिता से मिला तो वे इतने खुश हुए कि अपनी सारी शर्ते भूल गए।

माला और माहुल का विवाह धूमधाम से हुआ।

राहुल ने हँसते हुए ज़मींदार से कहा-'मैंने झूठ नहीं बोला था!'

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