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मेरा शहर कोटद्वार-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

01:00 PM Jan 26, 2024 IST | Sapna Jha
मेरा शहर कोटद्वार गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Mera Sahar Kotdwar
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Short Stories: देवभूमि उत्तराखंड पर्वतों पर बसा एक खूबसूरत राज्य है| इसी राज्य में एक खूबसूरत शहर है ,कोटद्वार ,जिसे गढ़वाल का द्वार भी कहते हैं | इसी शहर में मैं अपने माता-पिता के साथ तब आई थी| जब मैं 10 साल की थी| यहीं एक सरकारी विद्यालय में मेरी शिक्षा शुरू हुई| उस स्कूल की यादें आज भी मेरे जहन में ज्यों कि त्यों बसी हैं|अपनी सहेलियों के साथ स्कूल में खेलते हुए पढ़ाई के साथ मेरा बचपन बीत रहा था |मुझे याद है ,आज भी हर रविवार हम सभी सहेलियां प्रसिद्ध सिद्ध मंदिर जाया करती थी| कण्वाश्रम, जो राजा भरत की जन्मस्थली है, वहां पर प्रतिवर्ष एक सांस्कृतिक मेला आयोजित होता था| जिसमें मैं अपनी सहेलियों के साथ जाती थी | कण्वाश्रम एक बहुत ही खूबसूरत प्राकृतिक स्थान है| जहां मालन नदी के किनारे यह मेला आयोजित होता था| कोटद्वार की प्राकृतिक सुंदरता मेरे मन में आज भी एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह छपी हुई है| मेरे उस शहर की एक-एक गली एक- एक चौराहा आज भी मेरे मन मस्तिष्क से एक पल के लिए भी बाहर नहीं हुई है|
कोटद्वार इस शहर में मेरे जीवन के 20 वर्ष बीते हैं |इस शहर ने मुझे जीवन के गहन अनुभव दिये| चाहे सहेलियों के साथ बिताए गए बेफिक्र दिन हो, मेरे शिक्षकों की दी गई शिक्षा हो| पास- पड़ोसियों के साथ बीते हंसी-खुशी के क्षण हो| मेरे जीवन की अमूल्य धरोहर है जो मेरे दिल से कभी मिट नहीं सकते|
इसी शहर में मेरी कॉलेज लाइफ भी शुरू हुई |अपने दोस्तों के साथ वह बेफिक्र जीवन और अपने करियर की चिंता सभी बाते साथ-साथ चल रहा थी|
शादी के बाद मैं अपने ससुराल आ गई अब एक शिक्षिका हूं इसलिए देहरादून में शिक्षण कार्य कर रही हूं लेकिन मेरा बचपन का शहर कोटद्वार मेरे साथ हर जगह हर पल रहा|
कोटद्वार मेरे प्यारे शहर ,मैं तुम्हें कभी नहीं भूली| क्या तुम्हें मैं याद हूँ|क्या तुम्हें मेरा बचपन मेरी युवावस्था के शुरुआती दिन जो मैंने तुम्हारे आंगन में बिताये हैं| क्या तुम्हें याद है तुम्हारी हवाओं में मैंने जीवन की सांस ली है तुम्हारी मिट्टी ने मुझे बनाया है तुम्हारी बारिशों की याद में मैं भीगी हूंँ| सच कहूं मेरे प्यारे शहर जो तुमने मुझे बनाया है आज मैं इस रूप में जानी जाती हूंँ|

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