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जानें, मोक्षदा एकादशी का महत्व, तिथि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा: Mokshada Ekadashi

03:00 PM Dec 02, 2022 IST | Jyoti Sohi
जानें  मोक्षदा एकादशी का महत्व  तिथि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा  mokshada ekadashi
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Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी यानी मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाने वाली पूजा- अर्चना और व्रत। ऐसी मान्यता है कि अगर इस दिन पूरी श्रद्धा भावना के साथ व्रत और विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है, तो व्यक्ति अपने कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन किए जाने वाले व्रत को कठिन व्रतों की श्रेणी में रखा जाता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी यानि मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाने वाली पूजा अर्चना और व्रत। ऐसी मान्यता है कि अगर इस दिन पूरी श्रद्धा भावना के साथ व्रत और विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है, तो व्यक्ति अपने कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन किए जाने वाले व्रत को कठिन व्रतों की श्रेणी में रखा जाता है।

मोक्षदा एकादशी व्रत का समय

Mokshada Ekadashi
Mokshada Ekadashi means worship and fasting done for the attainment of salvation

हिंदू पंचांग : मार्गशीर्ष माह, शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी

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तिथि आरंभ : 03 दिसंबर 2022 प्रात 05 बजकर 39 मिनट से शुरू

तिथि समाप्ति : 04 दिसंबर 2022 रविवार प्रात 05 बजकर 34 मिनट पर

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पारण समय : 4 दिसंबर दोपहर 01:20 से लेकर 03:27 तक

पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से वैखानस नाम का एक राजा हुआ करता था। एक दिन स्वप्न में राजा ने अपने मृत पिता के दर्शन किए, जो नरक में बेहद दयनीय हालत में नजर आए। पिता की ये हालत देखकर राजा अब चिंतित रहने लगे। व्याकुल होकर उन्होंने संदेश भेजकर दरबार में विद्वानों को बुलाया और उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। अब राजा ने विद्वानों से पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। सभी विद्वानों ने एक ही स्वर में राजा से पर्वत ऋषि के आश्रम में जाने का सुझाव दिया।

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अब स्वप्न संकट में घिरे राजा पर्वत ऋषि के पास पहंचे और उन्हें अपने स्वप्न की पूरी कहानी बताई। राजा की मनोदशा को पर्वत ऋषि भली प्रकार से जान गए। उन्होंने राजा से कहा कि पूर्व जन्म में आपके पिता से कुछ ऐसे कर्म हुए थे, जिसके कारण उन्हें नरक में धकेला गया है। तब ऋषि ने राजा से मोक्षदा एकादशी का व्रत विधिवत ढंग से करने के लिए कहा और राजा ने विधिपूर्वक व्रत कर पुण्य फल को पिता के नाम से संकल्प करा दिया। अब व्रत के फलस्वरूप पिता पूर्व कर्मोंं के प्रभाव से मुक्त हो गए और स्वर्ग चले गए।

मोक्षदा एकादशी के दिन रखें इन बातों का ख्याल

  • इस दिन चावल, प्याज और लहसुन खाना शुभ नहीं माना जाता है।
  • मोक्षदा एकादशी में दिन व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें।
  • इस दिन किसी के साथ झगड़ा न करें और दिनभर पूजा पाठ करें।
  • इस दिन विधिपूर्वक उपवास करने और दान पुण्य से पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है।
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