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संक्रामक है मम्प्स बीमारी रहें सावधान: Mumps Disease

09:00 AM Apr 17, 2024 IST | Rajni Arora
संक्रामक है मम्प्स बीमारी रहें सावधान  mumps disease
Mumps Disease
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Mumps Disease: देश में पिछले कुछ समय से केरल, राजस्थान और मुबंई में मम्प्स की बीमारी कहर बरपा रही है। बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। दिनोंदिन मामले बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से कई लोग बहरेपन का भी शिकार हुए हैं। मम्प्स को हिन्दी में गलसुआ, गलफड़े या कंठमाला की बीमारी भी कहा जाता है। वायरस से होने वाली संक्रामक बीमारी है। वैसे तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, ज्यादातर बच्चे और किशोर इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। हालांकि मम्प्स गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन समय पर इलाज न हो पाए तो इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

मम्प्स संक्रमण आरएनए वायरस और पैरामिक्सो वायरस की फैमिली के पैरावे वायरस या ऑर्थो रूबेला वायरस की वजह से होता है। एयर ड्राॅपलेट्स के माध्यम से दूसरे तक फैलती है यानी यदि किसी व्यक्ति को मम्प्स है और वह खांसता-छींकता है तो उसके ड्राॅपलेट्स के माध्यम से मंप्स वायरस उस हवा में फैल जाता है। जब दूसरा व्यक्ति वायरसयुक्त हवा को इन्हेल करता है, तो उसे भी इंफेक्शन हो सकता है। या फिर संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठकर खाना खाने पर उसकी लार या स्लाइवा के माध्यम से भी दूसरा व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति 5 दिन तक संक्रमण फैला सकता है, इसलिए उन्हें आइसोलेशन में रहना बेहतर है।

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क्या हैं कारण

बच्चे का एमएमआर वैक्सीन न लगना जो व्यक्ति को मीजल्स और रूबैला इंफेक्शन से बचाती है। मम्प्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर।

कैसे पहचानें

Identify of Mumps Disease
Identify of Mumps Disease

अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखें तो सबसे पहले उसे आइसोलेट करने की बहुत जरूरत है।आमतौर पर वायरल संक्रमण होने पर व्यक्ति को तेज बुखार आता है। कानों के पीछे और कान के नीचे मौजूद लार ग्रंथियों (पैरोटिड स्लाइवेरी ग्लैंड्स) में सूजन आ जाती है। अगर यह जबड़ों के पैरोटिड ग्लैंड की सूजन हो तो वह कान के आगे गालों में भी सूजन आ जाती है। जबड़ों के नीचे सबम बुलर ग्लैंड में भी सूजन आ जाती है। पैरोटिड लार ग्रंथि में संक्रमण होने की वजह से लार बनना कम हो जाती है। व्यक्ति का मुंह सूखा-सूखा रहता है। सिर दर्द, मांसपेशियों में तेज दर्द होता है, मुंह खोलने, खाने-पीने या चबाने-निगलने में दिक्कत होती है। पानी न पी पाने की वजह से डिहाइड्रेशन हो सकता है। चिड़चिड़ापन आ जाता है।

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जटिलताएं भी हैं संभव

हालांकि ज्यादातर मरीज 5-7 दिन में ठीक हो जाते हैं और सूजन खत्म हो जाती है। लेकिन समय पर उपचार न हो पाने पर कई तरह की जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे-कुछ मामलों में कई बार बहरापन या कम सुनाई देने लगता है। कई मामलों में हियरिंग लाॅस इतना सीवियर होता है कि व्यक्ति स्थाई तौर पर सुनने की क्षमता खो देता है।

वायरस दिमाग तक चला जाता है और व्यक्ति को मैनिन्जाइटिस बुखार हो जाता है। उसे उल्टियां और असहनीय सिर दर्द होता है जिसकी वजह से उसे अस्पताल भी भर्ती होना पड़ता है। वायरस कई बार पेन्क्रियाज में पहुंच जाता है जिससे पेन्क्रियाज में सूजन आ जाती है। तेज पेट दर्द होता है। टेस्टिकल्स या गर्भाशय में सूजन आ जाती है और दर्द रहता है। ध्यान न देने पर इंफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द डाॅक्टर को कंसल्ट करना चाहिए।

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कैसे होता है डायग्नोज

मम्प्स वायरस की आशंका होने पर व्यक्ति के स्लाइवा टेस्ट किया जाता है। स्थिति गंभीर हो तो ब्लड टेस्ट किया जाता है जिसमें यह चेक किया जाता है कि ब्लड में एंटीजन या एंटीबाॅडीज न बन गए ।

कैसे होता है उपचार

पीड़ित व्यक्ति की स्थिति के हिसाब से एसिम्टोमैटिक उपचार किया जाता है। जैसे- बुखार आने पर पैरासिटामोल, सूजन और दर्द के लिए आइबोफ्रिन दी जाती है। मुंह सूखने की स्थिति में मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने या लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है ताकि डिहाइड्रेशन न हो। सूजन दूर करने के लिए बर्फ को कपड़े में लपेट कर या हीट पैड से सिंकाई कर सकते हैं। नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे करना फायदेमंद है।

कैसे करें बचाव

  • जरूरी है कि मम्प्स संक्रमित व्यक्ति आइसोलेशन में रहें। जब तक सूजन कम नहीं हो जाती, संक्रमित व्यक्ति को घर पर ही रहना चाहिए। जाना जरूरी हो तो मास्क पहनने, या खांसते-छींकते समय टिशू पेपर का इस्तेमाल करने और उसे डस्टबिन में फेंकने चाहिए।
  • हैंड हाइजीन का ध्यान रखें खासकर खाना खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
  • संक्रमित व्यक्ति से समुचित दूरी बनाकर रखें।
  • 12 से 15 महीने के बच्चे को एमएमआर, मम्स, मीज़ल्स और रूबैला की वैक्सीन लगवाएं। साथ ही 4-6 साल में बूस्टर डोज जरूर लगवाएं। परिवार में मम्प्स संक्रमित व्यक्ति है, तो परिवार के दूसरे सदस्य भी एहतियातन वैक्सीन लगवाएं।
  • डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए संक्रमित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने के लिए देते रहें।
  • हेल्दी डाइट दें ताकि इम्यूनिटी स्ट्रांग बनी रहे।
  • संक्रमित व्यक्ति को पूरा आराम करने के लिए कहें। जहां तक हो सके, स्कूल-काॅलेज, ऑफिस जाना या आटरडोर एक्टिविटीज अवायड करने के लिए कहें।

(डाॅ भूपेश सिंगला, बाल रोग विशेषज्ञ, दिल्ली)

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