विश्व के दुर्लभ फूलों में से एक है नीलकुरिंजी फूल, 12 साल में खिलता है एक बार: Neelakurinji Flowers
Neelakurinji Flowers: फूल सभी को पसंद होते हैं। दुनिया में कई प्रकार के फूल पाए जाते हैं। सभी फूलों का अपना-अपना विशेष महत्व है। वहीं सभी की सुगंध भी अलग-अलग होती है। फूलों की खुशबू सभी को अपनी और आकर्षित करती है। जब भी कोई फूल का पौधा लगाता है, तो उसे बेसब्री से फूल के खिलने का इंतजार रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक फूल ऐसा भी है जो 12 साल के लंबे समय के बाद खिलता है। जी हां, नीलकुरिंजी नाम का फूल 12 साल में एक बार खिलता है। नीलकुरिंजी दुनिया के दुर्लभ फूलों में शुमार होता है।
Also read: जानिए बरसात में कौन से फूल लगाएं: Rainy Season Flowers
नीलकुरिंजी फूल, जिसे कुरिंजी भी कहा जाता है। यह फूल दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के पश्चिमी घाट के शोला जंगलों में पाया जाता है। नीलकुरिंजी का वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलैंथेस।।। आना है। यह एक मोनोकार्पिक पौधा है, जिसका अर्थ है कि यह एक बार खिलने के बाद मर जाता है। नीलकुरिंजी के फूल 12 वर्षों में एक बार खिलते हैं। अगस्त से अक्टूबर के महीने में नीलकुरिंजी के फूल खिलते हैं। इस दौरान इन फूलों से पूरा इलाका नीले रंग से भर जाता है और यह बेहद ही अद्भुत दृश्य होता है।
क्यों खास है नीलकुरिंजी फूल
नीलकुरिंजी फूलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। केरल की आदिवासी समुदायों में नीलकुरिंजी फूलों को पवित्र माना जाता है। इन फूलों का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है।नीलकुरिंजी की विशेषता यह है कि यह सिर्फ 12 वर्षों के बाद ही अपना सौदार्यिक रूप दिखाता है। इस फूल का इंतजार करना अपने आप में बेहद खास है। इसका इंतजार करना बहुत ही आश्चर्यजनक अनुभव है, जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य की एक नई ऊंचाइयां का आभास होता है।
सबसे ज्यादा कहां पाया जाता है यह फूल
नीलकुरिंजी फूल दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के पश्चिमी घाट के शोला जंगलों में पाया जाता है। इन फूलों को "केरल का नीला स्वर्ग" कहा जाता है।
केरल: इडुक्की, मुन्नार, कोच्चि, पालक्काड, त्रिशूर, और कन्नूर
कर्नाटक: कोडागु, चिकमगलुरु, और दक्षिण कन्नड़
तमिलनाडु: नीलगिरि, कुड्डालोर, और तिरुनेलवेली
नीलकुरिंजी फूल 12 वर्षों में एक बार खिलते हैं। अगस्त से अक्टूबर के महीने में नीलकुरिंजी के फूल खिलते हैं। इस दौरान इन फूलों से पूरा इलाका नीला रंग से भर जाता है। यह एक अद्भुत दृश्य होता है ।नीलकुरिंजी फूलों की दुर्लभता के कारण इनका संरक्षण करना आवश्यक है। केरल सरकार ने नीलकुरिंजी फूलों के संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में नीलकुरिंजी फूलों के क्षेत्र को संरक्षित करना, नीलकुरिंजी पौधों की रोपाई करना और नीलकुरिंजी फूलों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।