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कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग सर्दियों में इस तरह रखें अपना ध्यान: Weak Immunity in Winter

07:00 AM Jan 10, 2024 IST | Rajni Arora
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग सर्दियों में इस तरह रखें अपना ध्यान  weak immunity in winter
Weak Immunity in Winter
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Weak Immunity in Winter: दिसम्बर और जनवरी महीने की सर्दी अपने साथ तापमान में गिरावट, चलने वाली शुष्क और बर्फीली हवाएं लेकर लाती है। साथ ही कई तरह के इंफेक्शन्स और बीमारियां। ध्यान न देने पर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों खासकर बच्चे और बुजुर्गों के लिए तो यह मौसम परेशानी का सबब बन जाता है। अस्थमा, हाई बीपी, हृदय रोग, डायबिटीज के मरीजों के लिए तो जानलेवा भी हो सकता है। वातावरण में मौजूद वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। न चाहते हुए भी उन्हें सर्दी-जुकाम, वायरल, फ्लू जैसी कई संक्रामक बीमारियां घेर लेती हैं। लापरवही बरतने पर हाइपोथर्मिया का भी शिकार हो जाते हैं। लेकिन थोड़ी सावधानी बरत कर वे आसानी से सर्दियों के मौसम का मज़ा जरूर ले सकते हैं।

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सर्दी-जुकाम

Weak Immunity in Winter
Weak Immunity in Winter-Cold and Cough

मौसम में बदलाव से कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को सर्दी-जुकाम बहुत होता है और ध्यान न देने पर नेजल ब्रॉन्क्रियल एलर्जी का रूप ले लेता है। बहुत ज्यादा छींके आती हैं, नाक बहता है। संक्रमण से बचने के लिए पर्सनल हाइजीन और साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी है। पानी में 4-5 बूंदे युकलिप्टस या पिपरमिंट ऑयल की मिलाकर स्टीम लें या नमक के पानी से गरारे करे। वैसे तो सर्दी-जुकाम 6-7 दिन में ठीक हो जाता है, न हो तो डॉक्टर को कंसल्ट करके एंटी एलर्जी मेडिसिन लें। यथासंभव गर्म पेय पीने को दें। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है।

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फ्लू

इस मौसम में वायरल इंफेक्शन के कारण फ्लू की चपेट में भी आसानी से आ जाते है। इसमें बुखार, सिरदर्द, आंखों से पानी बहता है। पर्सनल हाइजीन और आसपास साफ-सफाई रखने से वायरल इंफेक्शन से बचा जा सकता है। घर के खाने को प्रेफ्रेंस देनी चाहिए।

हाइपोथर्मिया

कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्ति को सर्दियों में हाइपोथर्मिया होने की संभावना रहती है जिसमें टैम्परेचर नॉर्मल से काफी कम हो जाता है। इसमें रोगी को बहुत ठंड लगती है, शरीर का सिस्टम ठीक से काम नहीं करता, ब्लड वैसेल्स सिकुड़ जाती हैं, ठीक तरह ब्लड सर्कुलेशन न होने से त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है, कई अंग ठीक तरह काम करना बंद कर देते हैं। हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए सिर से पैर तक वुलन कपड़े पहनाने चाहिए और कमरे में हीटर चलाकर रखना चाहिए।

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टॉन्सिलाइटिस

सर्दियों में बच्चों में टॉन्सिल में बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन से यह समस्या होती है। गले में दर्द, बुखार हो सकता है। ठंडी चीजें न देकर गर्म और ताजा भोजन दे। गुनगुना पानी पीने को दें।

विल ब्लेन और स्क्लेरोडर्मा

सर्दियों में ठंडे पानी से हाथ-पैर की ब्लड वैसल्स सिकुड़ जाती हैं। ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह न होने से उंगलियां नीली पड़ जाती हैं, गर्मी मिलने पर लाल हो जाती हैं। इनमें सूजन आ जाती है, गैंगरीन या अल्सर होने की आशंका रहती है। ऐसे में उन्हें दस्ताने, मोजे़ पहन कर रखने और ठंडे पानी से बचना जरूरी है। ड्राईनेस से बचाव के लिए गुनगुने पानी से नहाने के बाद मॉश्चराइजर लगाना जरूरी है।

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स्किन एलर्जी

सर्द हवाएं त्वचा में मौजूद पानी सोख लेती हैं और ड्राईनेस बढ़ाती हैं जिसे जेरोसिस कहते हैं। ऊपर से ध्यान न देने और रेगुलर न नहाने पर यह एग्जिमा का रूप ले लेता है। त्वचा में सूखापनए दरारे पड़ जाती हैं और खुजली रहती है। कभी-कभी खून भी निकलने लगता है। ऐसे में नहाने से पहले सरसों, नारियल या ऑलिव ऑयल से मालिश करनी चाहिए और बाद में विटामिन-ई युक्त क्रीम या मॉश्चराइजर रेगुलर लगाना चाहिए।

फंगल इंफेक्शन बढ़ने और ड्राईनेस बढ़ने से सिर में सिबोरिक ग्लेफेराइटिस एलर्जी हो जाती है। जिसमें खुजली, डैंड्रफ या पपड़ी-सी जम जाती है। ध्यान न देने पर शरीर के अन्य अंगो के बालों के आसपास भी दाने निकल आते हैं जिसे सिबोरिक डर्मेटाइटिस कहते हैं। इससे बचने के लिए रेगुलर नहाना और एंटी फंगल शैंपू से बाल धोना चाहिए। स्किन को मॉश्चराइज रखना और एलर्जी के लिए मेडिकेटिड लोशन लगाना चाहिए।

अस्थमा

Asthma
Asthma

इस मौसम में वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस और एलर्जिक तत्व अस्थमा मरीजों की तकलीफ बढ़ा देते हैं। एलर्जी के कारण नाक बंद होना या छींके ज्यादा आने की समस्या भी हो जाती है। खासकर कोहरे से श्वास-नली सिकुड जाती है। सांस लेने में दिक्कत होती है। जोर-जोर से सांस लेने पर हांफने लगते हैं। चेस्ट में जकड़न, बहुत ज्यादा खांसी होना, बलगम आना जैसी समस्याएं भी होती हैं। ऐसे में नेबुलाइजर और रेगुलर मेडिसिन जरूर लेनी चाहिए वरना अटैक आने का डर बना रहता है।

निमोनिया

कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग रेस्पेरेटरी इंफेक्शन निमोनिया की पकड़ में आ जाते हैं। वातावरण में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया या फंगस सांस के जरिये फेफड़ो तक पहुंचते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। उन्हें तेज बुखार सिरदर्द, बदन दर्द रहता है। फेफड़ो में पानी या कफ जम जाता है, सूजन आ जाती है, कमजोर हो जाते हैं और ठीक तरह काम नहीं कर पाते। मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, रेस्पेरेटरी फैल्योर हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। सांस लेने के लिए वेंटिलेटर मशीन पर रखने की भी जरूरत पड़ सकती है। समुचित उपचार न हो पाने पर यह गंभीर रूप भी ले लेता है। फेफड़ों का इंफेक्शन ब्लड सप्लाई के साथ दूसरे ऑर्गन में फैल सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगो को डॉक्टर के परामर्श पर हर साल बदलते मौसम में सितंबर-अक्तूबर में न्यूमोकोकल वैक्सीन जरूर लगवा लेनी चाहिए।

हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

तापमान गिरने से बढ़ी सर्दी से बचने के लिए शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर और हार्टबीट बढ़ जाती है। इससे हृदय रोगियों और हाइपरटेंशन के मरीजों पर बुरा असर पड़ता है। ब्लड वैसल्स सिकुड़ने से ब्लड क्लॉटिंग की समस्या बढ़ जाती है और ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर के मरीजों को डॉक्टर से नियमित चैकअप करवाना चाहिए और रेगुलर मेडिसिन लेनी चाहिए।

बचाव

  • वृद्ध और छोटे बच्चों को सर्दी से बचाएं। दिन में कम से कम 1 घंटा धूप में जरूर बैठें।
  • इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं। पर्याप्त नींद लें, नियमित व्यायाम करें और बैलेंस न्यूट्रिशियस डाइट लें। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और लिक्विड डाइट लें।
  • पर्सनल हाइजीन और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें। रोज नहाएं और मॉश्राइजर लगाएं।घर में खुली हवा आने दें। एलर्जी से बचने के लिए घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें। रग्स, कार्पेट रोजाना साफ करें।
  • बॉडी टेम्परेचर को मेंटेन रखने के लिए वुलन कपड़े पहनना ही काफी नही होता, अपनी डाइट में गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों और पेय ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। न्यूट्रीशियन से भरपूर बैलेंस डाइट लें। दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं।
  • बहुत सुबह या शाम को बाहर जाने से बचें। जरूरत हो तो दिन में ही काम निपटाएं। मार्निंग वॉक के लिए भी न जाएं। जब भी बाहर जाएं तो सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहन कर निकलें खासकर सिरए मुंह, कान और नाक अच्छी तरह ढके हों। एलर्जी से बचने के लिए ध्यान रखें कि वुलन कपड़े सीधे न पहनें।
  • कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अगर थोड़ा-सा भी बुखार या सर्दी.जुकाम होता है, तो डॉक्टर को तुरंत कंसल्ट करें।
  • दवाइयां रेगुलर लें।
  • यथासंभव संक्रमित मरीज से दूर रहें।

(डॉ जे रावत, जनरल फिजिशियन, नई दिल्ली)

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