शिव रक्षा स्तोत्र का करें पाठ, जीवन की सभी परेशानियां होंगी दूर: Shiv Raksha Stotra Benefits
Shiv Raksha Stotra Benefits: देवों के देव महादेव भगवान शंकर अत्यंत भोले हैं, इसी वजह से इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता हैI भगवान शिव को खुश करना बहुत ही आसान है और वे भी अपने भक्तों से जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैंI भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन व्रत व पूजन के साथ-साथ कुछ मन्त्रों के जाप और शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना काफी फलदायी होता हैI भक्त के द्वारा शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा उस पर बनी रहती है और जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होती हैंI आइए जानते हैं कि शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करना चाहिएI
शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय
आप शिव रक्षा स्तोत्र का जाप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन आप कोशिश करें कि सुबह स्नान करने के बाद ही इसका जाप करेंI इसके लिए आप अपने घर के मंदिर में बैठें और एक जपमाला लें और इस स्तोत्र का जाप करेंI आप धीरे-धीरे निश्चित रूप से भगवान शिव के आनंद को महसूस करेंगेI आप चाहें तो ध्यान करने के दौरान भी इस स्तोत्र का जाप कर सकते हैंI
शिव रक्षा स्तोत्रम के क्या लाभ हैं?
- शिव रक्षा स्तोत्र का जाप करने से नकारात्मक चीजें जैसे कि नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव, रोग, भूत और शत्रु का नाश होता हैI
- शिव भक्त के द्वारा नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक मजबूती प्राप्त होती है और नकारात्मक विचार दूर रहते हैंI
- शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती हैI
किस दिन शिव रक्षा स्तोत्र का जाप फलदायी होता है
वैसे तो शिव रक्षा स्तोत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता हैI लेकिन, सोमवार के दिन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव रक्षा स्तोत्र का जाप करना काफी ज्यादा शुभ माना जाता हैI इसलिए आप इस दिन स्नान करके अपने पूजा मंदिर के सामने बैठकर या फिर पास के किसी मंदिर में जाकर इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करें और फिर भगवान शिव को माला पहनाएंI मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन भी शिव रक्षा स्तोत्र का जाप काफी फलदायी होता हैI
शिव रक्षा स्तोत्र
विनियोग-ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः,
श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थ शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोग,
चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।1।
गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।2।
गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।
नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।3।
घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।4।
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।
भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।5।
हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।6।
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।
उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।7।
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।
चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।8।
एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।9।
गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।10।
अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।11।
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।12।
।इति श्री शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम।