समुद्र की बूंदें - दादा दादी की कहानी
Dada dadi ki kahani : एक बुद्धिमान चरवाहा था। चरवाहा वह होता है जो गाय-भैंसों, भेड़-बकरियों को चराने ले जाता है और शाम को वापस ले आता है। उस चरवाहे का नाम था यश। यश की बुद्धिमानी की चर्चा राजा तक पहुँची। राजा ने उसे अपने दरबार में बुलाया और कहा, 'हम तुम्हारी बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहते हैं। तुम हमारे तीन प्रश्नों का उत्तर दो। यदि हमें लगा कि तुम्हारे उत्तर ठीक हैं तो तुम्हें पुरस्कार दिया जाएगा।'
'जी महाराजा' यश ने कहा।
राजा ने पहला प्रश्न पूछा, 'समुद्र में पानी की कितनी बूंदें हैं?'
यश ने उत्तर दिया, 'महाराज, समुद्र में लगातार नदियों का पानी आकर मिलता रहता है। इसलिए बूंदों की सही गिनती नहीं की जा सकती। आप सारी नदियों को रोक दीजिए। मैं तुरंत समुद्र की बूंदें गिनकर आपको बता दूंगा।'
राजा यह उत्तर सुनकर खुश हुए।
अब राजा ने दूसरा प्रश्न पूछा-'आकाश में कितने तारे हैं?
यश ने उत्तर दिया, 'महाराज, समुद्र में जितनी बूंदें हैं, आकाश में उतने ही तारे हैं। आप नदियों को रोकने का प्रबंध कर दें। मैं आपको गिनकर बता दूंगा।'
फिर राजा ने तीसरा प्रश्न पूछा, 'अच्छा यह बताओ कि अनंतकाल आने में कितने पल अर्थात् कितने सैकेंड बाकी हैं?'
यश ने उत्तर दिया, 'महाराज, इसका उत्तर तो बहुत ही सरल है। आप जब नदियों का बहना रोकेंगे तो मैं समुद्र की बूंदें गिनना शुरू करूँगा। एक बूंद को गिनने में मुझे एक पल लगेगा। जब मैं सारी बूंदें गिन चुकूँ तो समझिएगा कि अनंतकाल आ गया।'
यश के चतुराई भरे उत्तर सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने यश से कहा, 'तुम संचमुच बहुत बुद्धिमान हो। हम तुम्हें पुरस्कार देना चाहते हैं। आज से तुम हमारे विशेष सलाहकार नियुक्त किए जाते हो।'