केरल में अनोखे अंदाज में मनाया जाता है ये त्यौहार, पुरुष लेते हैं स्त्री का रूप: Chamayavilakku Festival
Chamayavilakku Festival: भारत में एक नहीं बल्कि अनेक त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। हर त्यौहार का अपना विशेष महत्व और अपनी विशेष मानता है। भारत में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं यहां अलग-अलग धर्म के हर त्यौहार बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। कुछ त्यौहार ऐसे भी होते हैं जो बहुत ही अद्भुत होते हैं। इन्हीं त्यौहार में से एक है चमयविलक्कू। चमयविलक्कू त्योहार केरल के कोल्लम जिले में मनाया जाने वाला एक अनूठा त्योहार है। यह त्योहार मलयालम महीने मीनम (मध्य मार्च से मध्य अप्रैल) के 10वें और 11वें दिन मनाया जाता है।
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पुरुष पहनते हैं महिलाओं के कपड़े
इस त्योहार के दौरान, हजारों पुरुष महिलाओं के वेश में कोट्टनकुलंगारा श्री भगवती मंदिर में आते हैं और देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं। पुरुष गहने और अन्य श्रृंगार पहनकर महिलाओं के कपड़े पहनते हैं। हर साल, मंदिर के पास कई स्टूडियो और ग्रीन रूम अस्थायी रूप से बनते हैं, जो पुरुष भक्तों को महिलाओं का रूप धारण करने में मदद करते हैं। चमयविलाक्कू त्योहार केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यदि आप कभी मार्च या अप्रैल में केरल जाते हैं, तो यह त्योहार अवश्य देखें।
यह त्योहार लिंग-भेद के लिए प्रसिद्ध है
इस त्योहार की सबसे अनोखी विशेषता यही है कि इसमें पुरुष महिलाओं के वेश में सजकर मंदिर जाते हैं। वे गहने, साड़ी और अन्य महिलाओं के वस्त्र पहनते हैं, और देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए जुलूस में शामिल होते हैं। यह त्योहार लिंग-भेद के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का प्रतीक है।
चमयविलाक्कू त्योहार दो दिवसीय त्योहार है। पहले दिन, पुरुष मंदिर के द्वार से जुलूस (एझुन्नल्लथु) में शामिल होते हैं। वे अपने हाथों में पांच बत्तियों वाले दीप लिए होते हैं। दूसरे दिन, पुरुष देवी दुर्गा को भोजन अर्पित करते हैं। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती को इस स्थान पर विवाह प्रस्ताव दिया था। चमयविलाक्कू त्योहार केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
चमयविलाक्कू त्योहार के कुछ प्रमुख विशेषताएं
पुरुषों का महिलाओं के रूप में वेशभूषा, यह त्यौहार का सबसे अनूठा पहलू है। पुरुष गहने और अन्य श्रृंगार पहनकर महिलाओं के कपड़े पहनते हैं। त्योहार में भक्ति और उत्साह का माहौल होता है। भक्त देवी दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पहले दिन, पुरुष मंदिर के द्वार से जुलूस (एझुन्नल्लथु) में शामिल होते हैं। वे अपने हाथों में पांच बत्तियों वाले दीप लिए होते हैं। भक्तों का जुलूस, जो मंदिर के द्वार से शुरू होता है और शहर की गलियों से होकर गुजरता है, एक जीवंत दृश्य है। दूसरे दिन, पुरुष देवी दुर्गा को भोजन अर्पित करते हैं। त्योहार के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें नृत्य, संगीत और नाटक शामिल हैं।