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जीभ है हमारी सेहत का आइना: Tongue Health

06:00 PM Mar 11, 2023 IST | Rajni Arora
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Tongue Health: जीभ शरीर के महत्वपूर्ण सेंसरी ऑर्गन में एक है। औसतन 10 सेमी लंबी जीभ सबसे मजबूत और फ्लेक्सीबल मसल्स भी है। एक स्वस्थ व्यक्ति की जीभ स्लाइवा युक्त नम और गुलाबी रंग की होती है। इसकी सतह पर छोटे-छोटे छिद्र या पपिले होते हैं जिनमें तकरीबन 10 हजार टेस्ट बड्स होते हैं।

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जीभ भोजन का स्वाद लेने, निगलने और पचाने में ही मदद नहीं करती। बल्कि जीभ आइने की तरह हमारी सेहत से जुड़े राज भी खोलती है। यानी कई बार जीभ के रंग, सतह पर जमी परत और बनावट में असामान्य पैटर्न या बदलाव आ जाते हैं। जो हाइजीन की कमी, अंदरुनी कमजोर स्वास्थ्य या किसी गंभीर बीमारी का संकेत देते है। गौरतलब है कि मेडिकल डाॅक्टर भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए सबसे पहले जीभ का टार्च चेकअप करते हैं। एक आम आदमी भी जीभ की स्थिति देख कर अपनी सेहत के प्रति सचेत हो सकता है।

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Tongue Health:जीभ में आए बदलाव करते हैं ये बयां

आमतौर पर जीभ की सतह में मौजूद पपिले में सूजन आने से बढ़ोतरी हो जाती है। इनमें बैक्टीरिया, फूड पार्टिकल्स और डेड सेल्स फंस जाते हैं जिससे जीभ का गुलाबी रंग बदल जाता है। जीभ में आए बदलाव गलत खान-पान, नींद की कमी और कई बीमारियों के कारण भी होते है।

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पेल या फीके रंग की जीभ

Tongue Health Issues

यदि जीभ पेल या फीके रंग की है तो यह खून में हीमोग्लोबिन की कमी की ओर इशारा करती है। हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई में सहायक होता है। हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर में कमजोरी बनी रहती है।

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सफेद पैच और सफेद परतदार जीभ

जीभ पर सफेद रंग की परत जमना डिहाइड्रेशन, ओरल हाइजीन की कमी और एंटीबाॅयोटिक मेडिसिन के अधिक सेवन को दर्शाता है। स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन करने की वजह से भी जीभ सफेद रंग की हो जाती है जिसे ल्यूकोप्लेकिया कहते हैं। जीभ पर मोटी सफेद परत खराब डायजेशन का कारण भी होती है। 

ओरल थ्रश के कारण मुंह के अंदर विकसित होने वाला सफेद पैच ओरल फंगल इंफेक्शन या          कैंडिडिआसिस का संकेत देता है। यह सफेद पैच काॅटेज पनीर की तरह दिखता है। शिशुओं और डेन्चर पहनने वाले बुजुर्गो और कमजोर इम्यून सिस्टम और डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में देखने को मिलता है।

हल्के पीले रंग की जीभ

यह डिहाइड्रेशन, बुखार, नाक के बजाय मुंह से सांस लेने या अत्यधिक स्मोकिंग करने का संकेत है। यह थकान, आंतों में सूजन, कमजोरी और अनिद्रा से भी हो सकती है।

पीले रंग की गाढ़ी परत वाली जीभ

ओरल हाइजीन का ध्यान न रखने पर मुंह में बैक्टीरिया की अधिकता से जीभ पर पीले रंग की परत जम जाती है। इसकी वजह से सांस में बदबू, बुखार की समस्या हो सकती है। पीलापन शरीर में आयरन जैसे पौष्टिक तत्वों की कमी या डायजेस्टिव सिस्टम में गड़बड़ी का भी सूचक है।

स्ट्राॅबेरी या सुर्ख लाल चिकनी जीभ

Strawberry Tongue

लाल रंग के धब्बे या पूरी जीभ का लाल होना शरीर में एनीमिया या खून की कमी का प्रारंभिक लक्षण है। यह फोलिक एसिड, आयरन, विटामिन बी 12 की कमी से होती है। गले में खराश या बुखार की वजह से भी जीभ लाल हो जाती है। ब्लड डिसऑर्डर होने लगता है जिससे शरीर असामान्य रूप से रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने लगता है जिसका असर जीभ पर भी पड़ता है। सतह पर मौजूद टेस्ट बड मुलायम होने के कारण जीभ चिकनी हो जाती है। ऐसी स्थिति को एट्रोफिक ग्लोसिटिस कहा जाता है। इसमें जीभ में दर्द बना रहता है जिससे खाने-पीने में परेशानी होती है।

5 साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाला कावासाकी रोग का प्रारंभिक लक्षण स्ट्राॅबेरी जीभ का होना है। इसमें मरीज को तेज बुखार आता है और शरीर की रक्त वाहिकाओं में सूजन होने का असर जीभ पर भी पड़ता है। बैक्टीरिया इंफेक्शन से होने वाला स्कार्लेट बुखार होने पर भी मरीज की जीभ सुर्ख लाल हो जाती है। कई बार जीभ किनारों पर ज्यादा लाल होती है और बीच में गुलाबी रंग की होती है- तो यह आंतों में समस्या का संकेत है। ऐसे ही जीभ का अगला हिस्सा लाल और दर्द भरा होना मोनेापाॅज या मानसिक परेशानी की ओर इशारा करता है।

बैंगनी रंग की जीभ

बैंगनी जीभ लंग्स, हाई कोलेस्ट्राॅल या हार्ट डिजीज से जुडी समस्याओं को दर्शाती है। ब्रोंकाइटिस या शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में गड़बड़ी का संकेत भी संकेत देती है। जब हार्ट ठीक से काम नही कर पाता, तो खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे जीभ का रंग नीला या बैंगनी हो जाता है।

ब्राउन जीभ

अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने या स्मोकिंग करने वालों की जीभ ब्राउन रंग की हो जाती है। जीभ पर ब्राउन रंग के पैच मेलानोमा Melanoma स्किन कैंसर का संकेत भी हो सकता है। इससे मुंह से बदबू आने लगती है और टेस्ट पहचानने में दिक्कत आती है। 

जीभ का काला और बालदार होना

बैक्टीरिया पनपने या गंदगी जमने से जीभ का रंग काला हो जाता है। डायजेशन में गड़बड़ी, फंगल इंफेक्शन, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार के लिए ली जाने वाली एंटासिड जैसी एंटीबाॅयोटिक मेडिसिन, स्टेराॅयड थेरेपी का असर जीभ पर पड़ता है। 

लाल या सफेद रंग के छाले

Red and White Ulcer

जीभ के ऊपर या नीचे लाल रंग के छाले होना आम समस्या है। ओरल थ्रश के कारण जीभ में अकड़न, किनारों में दर्द और दाने हो जाते हैं। ओरल थ्रश डिजीज आमतौर पर बच्चों में होती है। हार्मोन्स में हो रहे बदलाव, तनाव और चिंता के कारण होते हैं। इम्यून डिसऑर्डर, गलत खान-पान से पेट में एलर्जी या इंफेक्शन से बनने वाले एसिड और स्मोकिंग करने की वजह से भी होते हैं। लेकिन कई मामलों में ये छाले आम छालों से थोड़े बडे आकार के होते हैं और गांठ का रूप भी ले लेते हैं। अगर ये छाले दो सप्ताह तक ठीक नही हो पाते-तो जीभ के कैंसर का अलार्मिंग संकेत हो सकते हैं।  

दरारयुक्त जीभ

शुष्क मुंह या डिहाइड्रेशन का शिकार, ब्लड प्रेशर, एलर्जी या मूत्रवर्धक मेडिसिन लेने वाले व्यक्तियों की जीभ अक्सर सख्त और दरारयुक्त हो जाती है। इनमें दर्द रहता है।

जीभ में सूजन और जलन

 यह कैंसर, ओवरएक्टिव थायराॅय, ल्यूकीमिया, एनीमिया और डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारियों का संकेत देती है। इसके अलावा एलर्जिक इंफेक्शन के कारण भी जीभ में सूजन और जलन होती है। चाय-काॅफी या तंबाकू के अत्यधिक सेवन से भी जीभ में जलन हो जाती है। ऐसा शुष्क मुंह, इंफेक्शन, डायबिटीज के कारण हो सकते है

उपचार

जीभ में छुपे स्वास्थ्य संबंधी सुरागों को देखते हुए जरूरी है कि अपनी जीभ पर नजर रखें। यानी सुबह ब्रश करते हुए नियमित रूप से जीभ भी चेक करें और किसी भी तरह का बदलाव महसूस होने पर डाॅक्टर को कंसल्ट करें। ताकि जीभ में आए बदलावों को दूर करने के साथ-साथ डायग्नोज हुई बीमारियों का समुचित उपचार किया जा सके। जीभ में हुए फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए डाॅक्टर एंटी-फंगल मेडिसिन देते हैं।

स्वास्थ्य के साथ-साथ जीभ को तंदरुस्त रखने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट लेने की सलाह देते है। मुंह में खराब बैक्टीरिया को पनपने में सहायक शर्करायुक्त खाद्य पदार्थो से परहेज करने की हिदायत देते हैं। जीभ को नम रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने के लिए कहते हैं। इससें मुंह सूखना, लार की कमी जैसी ओरल डिजीज कम होंगी। जहां तक संभव हो कैफीन युक्त पेय, एल्कोहल, स्मोकिंग और तंबाकू कम करना फायदेमंद है।

रखें ध्यान

जीभ को तंदरुस्त रखने के लिए ओरल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। साॅफ्ट ब्रिसल वाले ब्रश से दिन में 2 बार नियमित ब्रश करें, जीभ को अच्छी तरह से साफ करें ताकि जीभ पर बैक्टीरिया न पनपें। जीभ पर जमी गंदगी को टंग स्क्रैपर से नियमित रूप से साफ करें। माउथवाॅश का इस्तेमाल करें।

( डाॅ राहुल नागर, फिजीशियन, सहगल निओ अस्पताल, नई दिल्ली )

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