For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

आईबीडी और आईबीएस के अंतर को समझते हुए, जानिए सूजन आंत्र रोग के लक्षण, प्रकार और कारण: IBD and IBS

09:30 AM Apr 24, 2024 IST | Anuradha Jain
आईबीडी और आईबीएस के अंतर को समझते हुए  जानिए सूजन आंत्र रोग के लक्षण  प्रकार और कारण  ibd and ibs
Difference Between IBD and IBS
Advertisement

IBD and IBS: इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज जिसे सूजन आंत्र रोग, आईबीडी, प्रदाहक आन्त्र रोग और आंतों में सूजन जैसे कई नामों से जाना जाता है। ये रोग विकारों का एक ऐसा ग्रुप है जो आंतों में लंबे समय तक सूजन और दर्द का कारण बनता है। सामान्य शब्दों में कहे तो, जब पाचन तंत्र के टिश्यूज में लंबे समय तक सूजन से जुड़े विकार उत्पन्न हो जाते हैं तो ये समस्या इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज कहलाती है। आईबीडी क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस मुख्यतौर पर दो तरीकों का होता है। ये दोनों प्रकार पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। कुछ लोगों में आईबीडी एक हल्की बीमारी हो सकती है जबकि दूसरों के लिए, यह एक दुर्बल स्थिति भी हो सकती है जिसकी जीवनभर उपचार चल सकता है। हालांकि सूजन आंत्र रोग सभी उम्र और लिंग को प्रभावित कर सकती है। लेकिन आईबीडी आमतौर पर 15 से 30 वर्ष की उम्र के बीच सबसे ज्यादा होता है। चलिए जानते हैं, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के प्रकारों, लक्षणों, कारणों और इलाज के बारे में।

Also read : Healthy Intestine Tips: आंतों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी खाद्य पदार्थ

आईबीडी के प्रकार

क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस और माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस आईबीडी के मुख्य प्रकार हैं।

Advertisement

  • क्रोहन रोग: इस तरह की समस्या होने के कारण पाचन तंत्र में दर्द और सूजन हो जाती है। क्रोहन रोग मुंह से लेकर गुदा तक किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। यह आमतौर पर छोटी आंत और बड़ी आंत के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस: इस तरह की समस्या होने के कारण बड़ी आंत यानी कोलन और मलाशय में सूजन और छोटे-छोटे घाव जिसे अल्सर भी कहते हैं, हो जाते हैं।
  • माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस: इस तरह की समस्या आंतों में सूजन का कारण बनती है। इस समस्या के बारे में सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही पता लगाया जा सकता है।

आईबीडी और आईबीएस में अंतर

अक्सर लोग आईबीडी और आईबीएस को एक समझ लेते हैं। लेकिन यहां ये जानना जरूरी है कि ये दोनों अलग-अलग समस्याएं हैं।

  • आईबीडी एक बीमारी है और आईबीएस एक सिंड्रोम है। इन दोनों के होने के कारण और इलाज भी अलग-अलग हैं।
  • आईबीडी विकारों का एक ऐसा ग्रुप है जो आंतों में सूजन और दर्द का कारण बनता है। इसे इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज या सूजन आंत्र रोग के नाम से जाना जाता है।
  • जबकि आईबीएस गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिंड्रोम है। यह आंतों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे आंतों में सामान्य से अधिक या कभी-कभी कम संकुचन होता है। आईबीएसको स्पास्टिक कोलन या नर्वस स्टमक के नाम से जाना जाता है।
  • आईबीएस, आईबीडी की तरह आंतों में सूजन या क्षति का कारण नहीं बनता। इसलिए इमेजिंग स्कैन इसका पता नहीं लगा सकते। साथ ही आईबीएस से कोलन कैंसर का खतरा नहीं बढ़ता है। आईबीएस वाले लोगों को शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने या सर्जरी की आवश्यकता होती है।

आईबीडी के लक्षण

 Difference Between IBD and IBS
IBD Symptoms

आईबीडी के लक्षण आ और जा सकते हैं। वे हल्के या गंभीर हो सकते हैं, और वे अचानक प्रकट हो सकते हैं या धीरे-धीरे आ सकते हैं। इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के लक्षण सूजन के स्थान और गंभीरता के आधार पर भिन्न होते हैं, लेकिन मुख्य लक्षण कुछ इस तरह के होते हैं -

Advertisement

  • दस्त लगना की स्थिति तब होती है जब आंत के प्रभावित हिस्से पानी को पुन: अवशोषित नहीं कर पाते हैं।
  • रक्तस्रावी अल्सर होने पर मल में रक्त दिखाई दे सकता है। या मल में बलगम आने लगता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसे हेमटोचेजिया कहा जाता है।
  • कब्ज में आंत्र रुकावट के कारण पेट में दर्द, गैस, ऐंठन और सूजन जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
  • भूख न लगना या बिना कारण अचानक वजन घटना और एनीमिया जैसे लक्षण भी आईबीडी का कारण बन सकते हैं। यदि बच्चों में ये लक्षण दिखाई देते हैं तो उनके शारीरिक विकास में देरी होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • आईबीडी के प्रकार, क्रोहन रोग से पीड़ित लोगों के मुंह में घाव भी हो सकते हैं। कभी-कभी जननांग क्षेत्र या गुदा के आसपास भी अल्सर और दरारें दिखाई देती हैं।
  • पाचन तंत्र के अलावा आईबीडी के अन्य लक्षणों के तहत आंख की सूजन, थकान, बुखार, खुजली, लाल-दर्द भरी आंखें, जोड़ों में दर्द, मतली या उल्टियां आना, त्वचा संबंधी विकार और वात रोग भी हो सकते हैं।

आईबीडी होने का कारण

डीवाई पाटिल हॉस्पिटल की डॉ. आस्था सिंघल का कहना है कि आईबीडी होने के चार प्रमुख कारण है। एनवायरनमेंट, खराब लाइफस्टाइल, खान-पान और जेनेटिक। इनमें से किसी भी वजह से ये समस्या हो सकती है।

चलिए जानते हैं इन कारकों के बारे में -

Advertisement

आनुवंशिकी: जिन लोगों के माता-पिता, भाई-बहन या बच्चे को आईबीडी है, उनमें इसके विकसित होने का जोखिम बहुत अधिक होता है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि आईबीडी में आनुवंशिक घटक हो सकता है। आईबीडी वाले 4 में से 1 व्यक्ति के पास इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास है।

इम्यून सिस्टम रिस्पॉन्स: इम्यून सिस्टम भी आईबीडी में भूमिका निभा सकता है। इम्यून सिस्टम आमतौर पर संक्रमणों से लड़ता है। इससे पाचन तंत्र का एक वायरल संक्रमण इम्यून रिस्पॉन्स को ट्रिगर कर सकता है। पाचन तंत्र में सूजन हो जाती है क्योंकि शरीर आक्रमणकारियों के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स बनाने की कोशिश करता है। आईबीडी वाले लोगों में, इम्यून सिस्टम खाने को आक्रमक पदार्थ समझ लेता है। यह इस खतरे से लड़ने के लिए वह एंटीबॉडी जारी करता है, जिससे आईबीडी लक्षण पैदा होते हैं। एक स्वस्थ इम्यून रिस्पॉन्स में, संक्रमण ख़त्म होने पर सूजन दूर हो जाती है। लेकिनआईबीडी वाले लोगों में, संक्रमण न होने पर भी पाचन तंत्र में सूजन हो सकती है। इससे इम्यून सिस्टम शरीर की अपनी कोशिकाओं पर हमला करता है। इसे ऑटोइम्यून डिजीज के रूप में जाना जाता है। आईबीडी तब भी हो सकता है जब संक्रमण ठीक होने के बाद भी सूजन दूर नहीं होती है। सूजन महीनों या वर्षों तक जारी रह सकती है।

पर्यावरणीय फैक्टर्स: 2019 के एक शोध के अनुसार, शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक देशों में रहने वाले लोगों में आईबीडी विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इतना ही नहीं, जहां अक्सर ठंड होती है, उन जगहों पर रहने वाले लोगों में भी आईबीडी की समस्या अधिक देखी गई है।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि निष्क्रिय जीवनशैली अपनाने या लंबे समय तक नौकरी करने वाले लोगों मेंआईबीडी का खतरा बढ़ जाता है।

सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) वाले लोगों में यदि क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण होते हैं तो उन्हें तनाव हो सकता है। हालांकि कुछ लोग दवाओं से ठीक हो सकते हैं लेकिन कुछ लोगों को गंभीर लक्षणों से निपटने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज को प्रबंधित करने के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है।

Advertisement
Tags :
Advertisement