For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

सेफ मदरहुड के लिए गर्भवती महिला का वैक्सीनेशन है जरूरी: National Safe Motherhood Day

09:30 PM Apr 10, 2024 IST | Rajni Arora
सेफ मदरहुड के लिए गर्भवती महिला का वैक्सीनेशन है जरूरी  national safe motherhood day
National Safe Motherhood Day
Advertisement

National Safe Motherhood Day: रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी हमारे स्वस्थ जीवन का आधार हैं। हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करता है- हमारा हैल्दी लाइफ स्टाइल और जिंदगी भर चलने वाली वैक्सीनेशन प्रक्रिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के हिसाब से वैक्सीनेशन हमें बचपन से बुढ़ापे तक करीब 25 बीमारियों और इंफेक्शन से बचाता है। समय-समय पर दी जाने वाली ये वैक्सीन छोटे-बड़े सभी को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं। कई प्रकार के इंफेक्शन्स और जानलेवा बीमारियों की गिरफ्त में आने से बचाती हैं। इसकी जरूरत शिशु या छोटे बच्चों को ही नहीं, बड़ों खासकर प्रेग्नेंट महिलाओं को भी होती है। क्योंकि इस समय उनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है और अगर वो किसी वायरस की चपेट में आ जाती हैं तो जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा रहता है।

Also read : स्तनपान शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार: Diet for Breastfeeding

टी-डैप वैक्सीन

प्रेग्नेंट महिलाओं को 27-36 सप्ताह के बीच टी-डैप वैक्सीन दी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा को कोई दिक्कत न हो। लाॅक जाॅ डिजीज के बचाव के लिए टिटनेस ऑक्साइड वैक्सीन दी जाती है। प्रेग्नेंसी जब 4 महीने की हो जाती है तो पहली वैक्सीन टिटनेस की लगती है और उसके एक महीने के बाद प्रेग्नेंट महिला को टिटनेस का दूसरा इंजेक्शन लग जाना चाहिए। मसल्स में लगने वाले टिटनेस ऑक्साइड इंजेक्शन के दो डोज़ जरूर लगने चाहिए। किसी महिला को डिलीवरी होने के 3 साल के भीतर दूसरी प्रेग्नेंसी हो जाती है, तो उसे टिटनेस का एक ही बूस्टर डोज़ दिया जाता है। लेकिन अगर प्रेग्नेंसी 3 साल से ज्यादा समय की हो गई है, तो महिला को दो डोेज़ देते हैं।

Advertisement

इंफ्लूएंजा फ्लू वैक्सीन

वयस्क लोगों को हर साल सितंबर-नवंबर के बदलते मौसम की शुरुआत में इंफ्लूएंजा फ्लू वैक्सीन दी जाती है। खासकर जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो, जैसे-60 साल से बड़ी उम्र के व्यक्ति, प्रेग्नेंट महिलाएं। सर्दी के मौसम में प्रेग्नेंसी प्लान करने वाली महिलाओं को 5 महीने बाद वैक्सीन दी जाती है। लेकिन अगर वो प्रेग्नेंट हो गई हैं और उनकी डिलीवरी सितंबर-मार्च के बीच में होनी होती है, तो इंफ्लूएंजा की सैकंड वर्जन इनएक्टिवेटिड वैक्सीन दी जाती है।

हेपेटाइटिस बी वैक्सीन

hepatitis b vaccine
hepatitis b vaccine

हेपेटाइटिस बी का खतरा मूलतः संक्रमित व्यक्ति का ब्लड लेने से, संक्रमित सीरिंज के उपयोग, असुरक्षित यौन संबंध बनाने, नशीले पदार्थो का सेवन करने, आनुवांशिक या फैमिली हिस्ट्री होने, किडनी डायलिसिस पर होने, संक्रमित व्यक्ति की पर्सनल हाइजीन की चीजें इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति हेपेटाइटिस बी के हाई रिस्क पर होते है। पीड़ित व्यक्ति को शुरुआती लक्षण होने पर ही अगर हेपेटाइटिस ए, बी का वैक्सीन और ओरल मेडिसिन दी जाती है जिससे मरीज का आसानी से बचाव हो जाता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन से बचने के लिए 0-1-6 महीने में हेपेटाइटिस बी वैक्सीन दी जाती है।

Advertisement

एमएमआर वैक्सीन

प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में हो तो बच्चे में भी बर्थ प्राॅब्लम्स आ जाती हैं। रिप्रोडक्टिव उम्र की लड़कियों और प्रेग्नेंसी प्लान करने वाली लडकियों को रुबैला चैक कराने पर अगर यह नाॅन-इम्यून आए, तो उसे रुबैला वैक्सीन-एमएमआर वैक्सीन दी जाती है। उन्हें 6 महीने तक प्रेग्नेंसी प्लान न करने की सलाह दी जाती है।

चिकनपाॅक्स की वैक्सीन

एच 1 एन 1 वायरस से बचाव के लिए वयस्कों को साल मे एक बार स्वाइन फ्लू का इंजेक्शन लगाया जाता है।जिन्हें बचपन में चिकनपाॅक्स न हुआ हो उन्हें हर्पीस या जोस्टर वायरस से चिकनपाॅक्स कभी भी हो सकता है। इसके लिए मरीज को चिकनपाॅक्स की वैक्सीन 4 सप्ताह के अंतराल पर जोस्टर वैक्सीन 2 डोज में दी जाती है। आशंका होने पर प्रेग्नेंट महिला की इम्यूनिटी चैक की जाती है। अगर इम्यूनिटी अच्छी है, तो डर नही होता। लेकिन अगर ऐसा नही है तो प्रेग्नेटं महिला को चिकनपाॅक्स की वैक्सीन न देकर इमोनोग्लोबलीन एंटीबाॅयोटिक वैक्सीन दी जाती है। जो चिकनपाॅक्स के वायरस को प्रेग्नेंसी टाइम तक के लिए ब्लाॅक कर देते हैं और महिला का बचाव कर लेते हैं। डिलीवरी होने के बाद चिकनपाॅक्स की पूरी वैक्सीन देते है।

Advertisement

एंटी-हीमोफिलिक क्लॉटिंग प्रोटीन फैक्टर इंजेक्शन

हीमोफीलिया की रोकथाम के लिए हीमोफीलिया कैरियर प्रेग्नेंट महिलाओं के मरीजों को गर्भावस्था के दौरान कोरियोनिक विलुस सैम्पलिंग (सीवीएस) टेस्ट और मरीज जीन थेरेपी मुफ्त मुहैया कराई जाती है। इसमें उन्हें एंटी-हीमोफिलिक क्लॉटिंग प्रोटीन फैक्टर इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं जिनसे हीमोफीलिया मरीजों को काफी मदद मिलती है और होने वाले बच्चे पर हीमोफीलिया का असर काफी कम होने की संभावना रहती है।

(डाॅ सोनिया कटारिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ, दिल्ली)

Advertisement
Tags :
Advertisement