For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

मेटरनल इंस्टिंक्ट क्या होती है और क्यों है यह शिशु के लिए जरूरी: Maternal Instinct

मेटरनल इंस्टिक्ट मां की वो प्रवृति है जिससे वो यह जान पाती है कि शिशु का पालन-पोषण करते हुए क्या करना सही है और क्या गलत।
08:30 AM Apr 04, 2024 IST | Monika Agarwal
मेटरनल इंस्टिंक्ट क्या होती है और क्यों है यह शिशु के लिए जरूरी  maternal instinct
Maternal instinct
Advertisement

Maternal Instinct: गर्भवती महिलाओं को कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। यही नहीं, दोस्त, प्रियजन व अन्य परिवार के लोग भी होने वाली मां को इस दौरान सलाह देते रहते हैं कि शिशु के पैदा होने के बाद आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। आपने मेटरनल इंस्टिंक्ट के बारे में भी सुना ही होगा। जैसे ही शिशु जन्म लेता है और महिला मां बनती है, तो महिला आसानी से समझ जाती है कि अपने बच्चे की देखभाल के लिए सबसे अच्छा क्या है। यही भावना मेटरनल इंस्टिंक्ट के नाम से जानी जाती है। अपनी शिशु की देखभाल के लिए मां को किसी तरह की किताब या अन्य चीज की जरूरत नहीं होती है। वो खुद अपनी शिशु के अच्छे और बुरे के लिए सही निर्णय लेती है। आइए जानें मेटरनल इंस्टिंक्ट के बारे में।

Also read: नवजात शिशु के सेहत का रखें खास ध्यान, जानिए स्तनपान कराने का सही तरीका: Breastfeeding Tips

मेटरनल इंस्टिंक्ट किसे कहा जाता है?

मेटरनल इंस्टिंक्ट को लोग अलग-अलग तरह से पारिभाषित करते हैं। कुछ लोगों के लिए यह मां बनने की इच्छा है, तो कुछ के लिए यह मां की इंस्टिक्ट यानी स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिससे वो यह जान पाती है कि शिशु का पालन-पोषण करते हुए क्या करना सही है और क्या गलत। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह वो फीलिंग है जिससे शिशु अपने बच्चे को किसी भी नुकसान से बचा सकती है। हालांकि, इसके बारे में किसी भी तरह का वैज्ञानिक सुबूत मौजूद नहीं हैं और न ही इसको लेकर कोई शोध किया गया है। यह भी माना जाता है कि यह इंस्टिक्ट सच नहीं है केवल एक मिथ है।

Advertisement

Maternal instinct

मेटरनल इंस्टिंक्ट सच है या नहीं?

प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में मां के शरीर और ब्रेन में बहुत अधिक बदलाव आते हैं। यही नहीं, ऑक्सीटोसिन जैसे केमिकल्स का मां और उनके नवजात शिशु के बीच बनने वाली बॉन्डिंग पर भी प्रभाव पड़ता है। ब्रेस्टफीडिंग खासतौर पर ऑक्सीटोसिन के रिलीज़ को बढ़ा सकती है, जिससे मां और बच्चे का बांड गहरा होता है। साइंटिस्ट भी यह मानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग, डाइपर बदलना या बच्चे के साथ एकदम कनेक्ट होना हर मां में प्राकृतिक नहीं होता। लेकिन साइंस यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि ऐसा क्या है जो एक महिला को स्वाभाविक रूप से मां बनाता है। यानी, अगर आप मानों तो यह इंस्टिंक्ट सही है लेकिन, जरूरी नहीं है कि हर मां में यह भावना हो।

क्या मेटरनल इंस्टिंक्ट को अनुभव करना जरूरी है?

अगर आपको शिशु के जन्म के बाद मेटरनल इंस्टिंक्ट का अनुभव न हो, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में, आप अपने सवालों के जवाब अन्य अनुभवी लोगों से पा सकते हैं, जैसे:

Advertisement

  • पीडियाट्रिशन जो शिशु की हेल्थ से संबंधी हर सवाल का जवाब आप सही-सही देंगे।
  • ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी अपनी दुविधाओं का उत्तर आप किसी लैक्टेशन कंसलटेंट से पा सकते हैं।
  • अगर आप प्रसव के बाद एंग्जायटी या डिप्रेशन का अनुभव करते हैं, तो थेरेपिस्ट या डॉक्टर आपके काम आ सकते हैं।
  • अन्य माताएं भी आपके मदरहुड को आसान बनाने में आपकी मदद कर सकती हैं।
maternal instinct
Maternal instinct

मेटरनल इंस्टिंक्ट को आप मिथ मान सकते हैं। लेकिन, यह अधिकतर माताओं के लिए एक सच है, जिसके इस्तेमाल से इस मुश्किल यात्रा को वो आसान बनाती हैं। अगर बात आती है मदरहुड की, तो मां से यह उम्मीद की जाती है कि वो शिशु की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाए और उसे शिशु के लालन-पालन से जुड़ी हर बात का पता हो। अगर आप मेटरनल इंस्टिंक्ट का अनुभव नहीं भी करती हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। आप केवल खुद पर विश्वास रखें। धीरे-धीरे आप अपने शिशु से जुड़ी हर बात को समझेंगी और हर समस्या का हल भी आप कर पाएंगी।

Advertisement
Advertisement
Tags :
Advertisement