कौन है शंकराचार्य, कैसे होता है इनका चयन, जानें भारत में कितने शंकराचार्य हैं: Sanatan Dharma
Sanatan Dharma: शंकराचार्य को हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख धर्मगुरुओं में से एक माना जाता है। भारत में शंकराचार्य पद की स्थापना आदि शंकराचार्य ने ही की थी। हिंदू धर्म में शंकराचार्य का पद सर्वोच्च माना जाता है। आदि शंकराचार्य महाराज 32 साल तक ही जिए उन्होंने हिंदू धर्म के पुनरुत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। मात्र 32 साल की उम्र में ही उन्होंने देश के एक छोर से उस छोर की यात्रा की। आदि शंकराचार्य ने न सिर्फ हिंदू धर्म को पुनर्जीवित किया बल्कि चार मठों की स्थापना भी की। इन चार मठों में उत्तर के बद्रिकाश्रम का ज्योर्तिमठ, दक्षिण का श्रृंगेरी मठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी का गोवर्धन मठ और पश्चिम में द्वारका का शारदा मठ शामिल है।
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क्या होता है शंकराचार्य का मतलब
सनातन धर्म में शंकराचार्य को सबसे प्रमुख धर्म गुरुओं में से एक माना जाता है। शंकराचार्य बनने के लिए व्यक्ति का ब्राह्मण होना सबसे जरूरी होता है शंकराचार्य बनने के लिए व्यक्ति को सन्यासी होना जरूरी है। सन्यासी बनने के लिए अपने गृहस्थ जीवन का त्याग करना होता है। इसके अलावा मुंडन, पिंडदान और रुद्राक्ष धारण करना जरूरी माना जाता है। इतना ही काफी नहीं है, शंकराचार्य बनने के लिए तन मन से पवित्र होना जरूरी है, चारों वेदों और छह वेदांगो का ज्ञात होना जरूरी है।
कैसे होता है शंकराचार्य का चयन
शंकराचार्य को हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख धर्म गुरुओं में से एक माना जाता है। इसलिए इसका चयन एक लंबी और जटिल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। इस प्रक्रिया में चार प्रमुख मठों के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर, प्रतिष्ठित संतों की सभा और काशी विद्युत परिषद की सहमति शामिल होती है। चयन प्रक्रिया की शुरुआत चार मठों के प्रमुखों के साथ होती है। यह प्रमुख एक उम्मीदवार का चयन करते हैं। जिसे फिर आचार्य महामंडलेश्वरों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। आचार्य महामंडलेश्वर उम्मीदवार के ज्ञान चरित्र और योग्यता की जांच करते हैं यदि वह उम्मीदवार को योग्य पाए हैं तो वह उसे प्रतिष्ठित संतों की सभा के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
इसके बाद प्रतिष्ठित संतों की सभा उम्मीदवार को एक परीक्षा देता है। इस परीक्षा में उम्मीदवार के ज्ञान दर्शन और आध्यात्मिकता का परीक्षण किया जाता है। यदि उम्मीदवार परीक्षा में उत्तीर्ण होता है तो उसे काशी विद्वत परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। काशी विश्वनाथ परिषद उम्मीदवार की योग्यता का अंतिम मूल्यांकन करती है। यदि परिषद उम्मीदवार को योग पाती है तो वह उसे शंकराचार्य की उपाधि प्रदान करती है।
भारत में कुल कितने शंकराचार्य हैं
चार मठों के एक-एक शंकराचार्य हैं। ओडिशा के पूरी में गोवर्धन मठ, जिसके शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती है। गुजरात में द्वारकाधाम में शारदा मठ, जिसके शंकराचार्य सदानंद सरस्वती है। उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ, जिसके शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद है। दक्षिण भारत के रामेश्वरम में श्रृंगेरी मठ, जिसके शंकराचार्य जगंदगुरू भारती तीर्थ है।