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सबकी सेहत का ध्यान रखते-रखते, महिलाएं अपनी सेहत का ध्यान क्यों नहीं रखती 

जिन महिलाओं से ये संसार है, जिनमें पूरे परिवार का सार है, वे अक्सर अपना ध्यान रखना तक भूल जाती हैं। अपने हर किरदार को अनूठे तरीके से निभाने वाली महिलाएं अक्सर खुद के स्वास्थ्य के मोर्चे पर पीछे रह जाती हैं।
07:15 AM May 07, 2023 IST | Ankita Sharma
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कहते हैं नारी ही नारायणी है। वह साहस और हिम्मत की मिसाल है। मील का पत्थर है तो घर की रीढ़ भी वही है और पूरे परिवार की धुरी भी। ताकत की आन-बान-शान है तो हौसलों की उड़ान भी। पति के लिए संबल है तो बच्चों के लिए पूरी दुनिया। उसमें हर काम को सफल बनाने की काबिलियत है। वह अपनी राह खुद बनाती है, खुद ही बेधड़क उसपर निकल जाती है। मुश्किलों से लड़ती है, संघर्षों से खूब झगड़ती है। मानों राउंड द क्लॉक दौड़ती जिंदगी में वो कभी थकती ही नहीं है। लेकिन क्या वह शारीरिक तौर पर भी उतनी ही मजबूत है, क्या आपने कभी इस पर गौर किया है।

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अपनी हेल्थ को लेकर लापरवाह हैं महिलाएं

जिन महिलाओं से ये संसार है, जिनमें पूरे परिवार का सार है, वे अक्सर अपना ध्यान रखना तक भूल जाती हैं। अपने हर किरदार को अनूठे तरीके से निभाने वाली महिलाएं अक्सर खुद के स्वास्थ्य के मोर्चे पर पीछे रह जाती हैं। एक सर्वे के अनुसार भारत की 55 प्रतिशत महिलाएं सिर्फ गर्भावस्था में ही स्त्री रोग विशेषज्ञों के पास जाती हैं। वहीं सिर्फ 22 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स संबंधी समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं। हैरानी की बात तो ये है कि केवल 11 प्रतिशत महिलाएं नियमित गायनी चेकअप के लिए जाती हैं। उससे भी परेशान करने वाली बात ये है कि ये महिलाएं एक बार डॉक्टर को दिखाने के बाद फॉलोअप चैकअप तक के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं। मात्र 33 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो फॉलोअप के लिए जाती हैं। अब इन हालातों से साफ है कि देश की नारी शक्ति अपनी सेहत के लिए कितनी जागरूक है।

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महिलाओं को करवाने चाहिए ये टेस्ट

40 की उम्र के पार होने पर महिलाओं को आवश्यक रूप से कुछ टेस्ट करवाने चाहिए। इन्हीं में से एक टेस्ट है पैप स्मीयर टेस्ट। पैप स्मीयर एक सामान्य टेस्ट है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं के एक छोटे से सैंपल को लेते हैं। यह टेस्ट बच्चेदानी के मुख के कैंसर पूर्व और कैंसर की स्थिति का पता लगाने में हेल्प करता है। इससे बच्चेदानी के मुख के संक्रमण का भी पता चलता है। हर महिला को पांच साल में एक बार यह टेस्ट करवाना चाहिए। दूसरा जरूरी टेस्ट है मैमोग्राफी। मैमोग्राफी टेस्ट भी महिलाओं को 40 की उम्र के बाद करवाना चाहिए। इससे ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इससे अर्ली स्टेज में ही इस जानलेवा बीमारी का पता लग जाता है। इसी के साथ हर महिला को हर साल अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। जिससे गर्भाशय में किसी भी तरह का फाइब्रॉएड, सिस्ट या किसी भी तरह की असामान्यता का समय रहते पता लगाया जा सकता है। समय समय पर विटामिन डी, विटामिन बी 12, ब्लड शुगर की भी जांच करवानी चाहिए।

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हर महिला को रखना चाहिए इन तीन बातों का ध्यान

एक महिला के लिए हमेशा से ही सबसे जरूरी होता है उसका परिवार। लेकिन आप दूसरों की देखभाल तब ही कर पाएंगी, जब आप खुद सेहतमंद होंगी। अगर आप ही बीमार होंगी और हमेशा थकान व डिप्रेशन से घिरी रहेंगी तो सबका ध्यान रखने में भी सफल नहीं हो पाएंगी। ठीक वैसी ही परिवार की भी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह घर की महिलाओं का पूरा ध्यान रखें। हर महिला को तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए-हेल्दी खाना, नियमित योग व व्यायाम और मेंटल हेल्थ को सही रखना।

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समय पर खाना खाएं

कई बार महिलाएं घर-परिवार-रिश्तेदारों के चक्कर में तो कभी घर के काम खत्म करके ऑफिस समय से पहुंचने की जल्दी में नाश्ता तक नहीं करतीं, जो बहुत ही गलत है। ऐसे में शरीर को मॉर्निंग एनर्जी नहीं मिल पाती और वे सारे दिन थकान महसूस करती हैं। रात में डिनर के समय भी अक्सर महिलाएं पूरे परिवार को खाना खिलाकर ही खुद खाना खाती है। कभी उनके लिए सब्जी नहीं बच पाती तो कभी सलाद। यही कारण है कि उनमें आयरन सहित कई विटामिन और मिनरल्स की कमी रह जाती है। इसलिए खुद के लिए समय निकालें और डाइट प्रॉपर लें। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत की करीब 55 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी है।

योग, एक्सरसाइज है जरूरी

भागदौड़ भरी जिंदगी में अकसर महिलाएं खुद के लिए समय नहीं निकाल पातीं। लेकिन कोशिश करके आप थोड़ा सा समय खुद के लिए निकालें यानी आपका अपना मी टाइम। इस समय पर योग करें, मेडिटेशन करें, एक्सरसाइज करें। अगर आप कुछ नहीं कर पा रही हैं तो मॉर्निंग और इवनिंग की वाॅक भी आपकी सेहत को सुधारने का काम करेगी। कहते हैं जो दस से पंद्रह मिनट की वॉक भी शुरुआत के लिए अच्छी है तो क्यों न आप इसी से शुरुआत करें।

मेंटल हेल्थ पर ध्यान

मेंटल हेल्थ एक ऐसा विषय है जिसके बारे में अक्सर भारत में लोग बात करने से बचते हैं। कई बार महिलाएं परेशान होती हैं, उनका मन नहीं लगता या रोना सा आता है, किसी काम में जी नहीं लगता, ये सभी लक्षण कहीं न कहीं डिप्रेशन के हैं। मेंटल हेल्थ पर समय पर ध्यान देना जरूरी है। सर्वे बताते हैं कि भारतीय महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले डिप्रेशन का प्रतिशत अधिक है। महिलाएं अक्सर गर्भावस्था, प्रजनन क्षमता, पेरिमेनोपॉज, मोनोपाॅज और पीरियड सर्कल के कारण डिप्रेशन में रहती हैं। कई बार हार्मोन इन बैलेंस भी इसका कारण होता है। जरूरी है कि आप समय रहते इसपर ध्यान दें।  

परवरिश में बदलाव की जरूरत

महिलाएं स्वस्थ रहेंगी, तब ही परिवार सेहतमंद रहेगा, यह बात सही है। ऐसे में बच्चियों की परवरिश में भी बदलाव की जरूरत है। हमें बच्चियों को त्याग की मूर्ति बनाने की जगह समान सम्मान की बात सिखाने की आवश्यकता है। बच्चियों को बचपन से ही सिखाना चाहिए कि आप बेशक सबका ध्यान रखें, लेकिन साथ में अपनी केयर करना भी जरूरी है। उन्हें सिखाएं कि बहन और भाई दोनों समान हैं। ऐसा नहीं है कि सारा हेल्दी फूड भाई को ही मिलेगा और बहन को नहीं दिया जाएगा। उन्हें बचपन से ही सेहत का महत्व बताना होगा। घर परिवार की बातों में किए गए छोटे-छोटे से परिवर्तन आगे चलकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। हम अपनी बेटियों को जब खुद का ध्यान रखना बचपन से सिखाएंगे, तब ही वे आगे चलकर अपने साथ सबका ध्यान रख पाएंगी। 

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