म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान: Mutual Fund Investment Tips
Mutual Fund Investment Tips: आज की महिलाओं के अपने सपने हैं, उनकी अपनी इच्छाएं हैं और उनके अपने कुछ लक्ष्य हैं जिन्हें पूरा करने की दिशा में वे रात-दिन लगी हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि आज की महिलाएं ज्यादा आत्मविश्वासी, स्वतंत्र हो गई हैं और निवेश से जुड़े फैसले भी खुद लेने लगी हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग में वे म्यूचुअल फंड में निवेश का भी सोचती हैं और अब हर उम्र की महिलाएं म्यूचुअल फंड निवेश में बढ़ती जा रही हैं। शॉर्ट और लॉन्ग टर्म निवेश के लिए यह एक अच्छा ज़रिया है लेकिन फिर भी कुछ चीजें हैं जिनका ध्यान महिलाओं को इसे चुनते वक्त होना चाहिए।
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फाइनेंस से जुड़े लक्ष्यों को पहचानें
म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने से पहले आपको अपने फाइनेंस से जुड़े लक्ष्यों को पहचानना और प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना होगा। आपके निवेश को बेहतर दिशा देने के लिए आपका म्यूचुअल फंड निवेश आपके फाइनेंस के विशिष्ट लक्ष्यों से जुड़ा होना चाहिए। किसी भी महिला के लिए फाइनेंस से जुड़े लक्ष्य और उनकी प्राथमिकताएं उनकी उम्र, फाइसेंस की स्थिति, आश्रितों की संख्या आदि के आधार पर अलग-अलग होती है। मान लीजिए एक अविवाहित महिला के लिए शादी के लिए धन जुटाने का फाइनेंशियल गोल ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है जबकि एक मां के लिए धन संचय के लिए उनकी प्राथमिकता उसके बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए होगी।
एनएवी पर आधारित फंड चुनने से बचें
फंड का चयन करते समय कुछ इंवेस्टर कम एनएवी से आकर्षित होते हैं क्योंकि यह उच्च एनएवी की कीमत वाले फंड से सस्ता होता है। आपको बता दें कि एनएवी एक फंड की प्रति यूनिट की कीमत है, जो एयूएम और फंड की कुल बकाया इकाइयों पर निर्भर करती है। किसी फंड का एनएवी ज्यादा या कम हो, यह केवल इंवेस्टर के स्वामित्व वाली यूनिट की संख्या को बदल देगा और यह कभी भी फंड के परफॉर्मेंस या स्टेटस का संकेतक नहीं होता है। इसलिए अपने पोर्टफोलियो बनाते वक्त फंड चुनते समय यह आपके दृष्टिकोण को प्रभावित नहीं करना चाहिए। इसकी बजाए किसी फंड का मूल्यांकन करते वक्त विभिन्य समय अवधि में फंड के रिटर्न और पोर्टफोलियो को देखें।
रिस्क प्रोफाइल के आधार पर फंड चुने
डेट हो या इक्विटी फंड का चुनाव इंवेस्टर के रिस्क लेने की क्षमता, निवेश सीमा और अपेक्षित रिटर्न पर निर्भर करता है। अगर आपके रिस्क लेने की क्षमता कम है और आप 2-3 साल वाले शॉर्ट टर्म लक्ष्य पाने के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो शॉर्ट टर्म डेट फंड उपयुक्त विकल्प होगा। हाई रिस्क ले सकते हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प होगा जो 5 साल या इससे ज्यादा के समय के लॉन्ग टर्म लक्ष्यों को पूरा करेगा।
डायरेक्ट या रेग्यूलर प्लान
आप डिस्ट्रिब्यूटर या किसी अन्य मध्यस्थ को कमीशन देकर फंड खरीदते हैं, तो इसका मतलब रेग्यूलर प्लान्स के ज़रिये खरीदारी से है। वहीं बिना कमीशन के सीधे एएमसी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से फंड खरीदते हैं तो इसे डायरेक्ट प्लान माना जाता है। दोनों निवेश का उद्देश्य एक ही है लेकिन रिटर्न, एएवी और एक्सपेंस के रेशो के आधार पर ये अलग-अलग है। डायरेक्ट प्लान किसी डिस्ट्रिब्यूटर को शामिल किए बिना सीधे इंवेस्टर को बेचा जाता है, इसलिए इसका एक्सपेंस रेशो एक प्रतिशत कम होता है। डायरेक्ट प्लान में कम एक्सपेंस रेशो से फंड के एनएवी और रिटर्न में बढ़ोतरी होती है।